पंडित सेती कहि रहे मीनिंग कबीर के दोहे
पंडित सेती कहि रहे, कह्या न मानै कोइ।
ओ अगाध एका कहै, भारी अचिरज होइ॥
Pandit Seti Kahi Rahe, Kahya Na Maane Koi,
So Agaadh Eka Kahe, Bhaari Achiraj Hoiपंडित : ग्यानी, विद्वान।
सेती : से।
कहि रहे : कह रहा हूँ, बता रहा हूँ।
कह्या न मानै : कोई कहा नहीं मान रहा है, कोई विश्वास नहीं करता है।
अगाध ए का कहै : अगाध को एक ही कहा पर विश्वास नहीं करते हैं.
भारी : बहुत।
अचिरज : आश्चर्य।
होइ : होना।
कबीर साहेब वाणी देते हैं की जब मैं परमात्मा और आत्मा के अद्वैत होने की बात करता हूँ तो कोई मेरे इस कथन का यकीन नहीं करता है।
पंडित (ज्ञानी ) व्यक्ति मेरी बातों का विश्वास नहीं करते हैं। कोई इस बात को नहीं मानता है की आत्मा और परमात्मा एक ही हैं, मेरा कहा कोई नहीं मानता है। वे लोग इस कथन से अचंभित हो जाते हैं। जो लोग शास्त्रीय ज्ञान में उलझे रहते हैं वे मेरी बात का यकीन नहीं कर पाते हैं. पंडितों ने अगाध को भी शास्त्रीय ज्ञान में बाँधने की कोशिश की है जिसका कबीर साहेब ने खंडन किया है। आत्मा पूर्ण परमात्मा का ही एक अंग है, इसे पृथक करके नहीं समझना चाहिए।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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