पहुँचैगे तब कहैंगे मीनिंग कबीर के दोहे
पहुँचैगे तब कहैंगे, अमड़ैगे उस ठाँइ।
अजहूँ बेरा समंद मैं, बोलि बिगूचै काँइ॥
Panhuchenge Tab Kahenge, Amdenge Us Thaayi,
Ajahu Bera Samand Main, Boli Biguche Kaai.पहुँचैगे तब कहैंगे मीनिंग हिंदी शब्दार्थ
पहुँचैगे तब कहैंगे : पंहुचने पर कहेंगे, साधना पथ पर पंहुचने के उपरान्त ही कुछ कहेंगे.
अमड़ैगे : आनंदित होंगे, उमडेन्गे
उस ठाँइ : उस स्थान पर.
अजहूँ : अभी समंद मैं,
बेरा : बेड़ा, नांव.
बोलि बिगूचै काई : अभी व्यर्थ में क्या बोला जाए, व्यर्थ में बोली का मोल क्यों समाप्त किया जाए.
कबीर साहेब की वाणी है की भक्ति के परम पद को प्राप्त करने के उपरान्त, अपनी मंजिल तक पंहुचने के बाद ही हम उसके विषय में कुछ कह पायेंगे, भक्ति मार्ग के बारे में कुछ बता पायेंगे. अभी हम इस विषय में कुछ नहीं बता नहीं सकते हैं. जब हम उस स्थान पर उमड़ेगे, आनंदित होंगे इसके उपरान्त ही कुछ इसके बारे में बता पायेंगे. अभी तो हमारी नांव बीच समुद्र में है. अभी कुछ भी कहकर व्यर्थ में कथन को क्यों समाप्त किया जाए.
एक बार निर्धारित गंतव्य पर पंहुच कर भरपूर आनंद लेने के उपरान्त ही कुछ कहा जा सकता है. इस साखी का मूल भाव है की इश्वर कैसा है, उसका रूप कैसा है आदि पर अनर्गल वार्तालाप से कोई लाभ नहीं होने वाला है, सच्चे हृदय से इश्वर का सुमिरण करना ही वास्तविक भक्ति है, इसका कोई अन्य विकल्प नहीं है. स्थान स्थान पर साहेब की वाणी का मूल है की हरी के नाम का सुमिरण सच्चे हृदय से करो, अन्य
किसी मार्ग या साधन की कोई आवश्यकता नहीं है. इस साखी में रुप्कतिस्योक्ति अलंकार की व्यंजना हुई है.
|
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
|