इतना तो करना स्वामी भजन Itana To Karna Swami Bhajan
अत्यंत ही सुन्दर भजन, ईश्वर से विनती है की जब प्राण इस तन को छोड़ें तो गोविन्द का ही नाम लेकर साँस इस खोली से रुख़सत हों। भक्त चाहता है की उसके अंतिम समय में श्री गंगा जी उसे मिले और यमुना जी का वंशीवट हो, और श्री कृष्ण निकट ही हों। जब प्राण इस तन को छोड़कर निकलें तो वह उदास नहीं हो और उसके मन में श्री कृष्ण जी की पीतांबरी छवि का वास हो। माता तुलसी को अत्यंत ही शुभ माना जाता है। जब भी उसके प्राण उसे छोड़ें तब उसे किसी भी प्रकार का कोई राग नहीं सताये। श्री कृष्ण जी से विनती है की उस समय वे श्री राधा जी को अवश्य ही साथ लेकर आएं।
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें,
गोविन्द नाम लेकर,
फिर प्राण तन से निकले।
श्री गंगा जी का तट हो,
यमुना का वंशीवट हो,
मेरा साँवरा निकट हो,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
पीताम्बरी कसी हो,
छवि मन में यह बसी हो,
होंठों पे कुछ हँसी हो,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
श्री वृन्दावन का स्थल हो,
मेरे मुख में तुलसी दल हो,
विष्णु चरण का जल हो,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
जब कण्ठ प्राण आवे,
कोई रोग ना सतावे,
यम दर्शना दिखावे,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
उस वक़्त जल्दी आना,
नहीं श्याम भूल जाना,
राधा को साथ लाना,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
सुधि होवे नाहीं तन की,
तैयारी हो गमन की,
लकड़ी हो बृज के वन की,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
एक भक्त की है अरजी,
खुदगर्ज की है गरजी,
आगे तुम्हारी मरज़ी,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
ये नेक सी अरज है,
मानों तो क्या हरज है,
कुछ आप का फ़रज है,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
जब प्राण तन से निकलें,
गोविन्द नाम लेकर,
फिर प्राण तन से निकले।
श्री गंगा जी का तट हो,
यमुना का वंशीवट हो,
मेरा साँवरा निकट हो,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
पीताम्बरी कसी हो,
छवि मन में यह बसी हो,
होंठों पे कुछ हँसी हो,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
श्री वृन्दावन का स्थल हो,
मेरे मुख में तुलसी दल हो,
विष्णु चरण का जल हो,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
जब कण्ठ प्राण आवे,
कोई रोग ना सतावे,
यम दर्शना दिखावे,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
उस वक़्त जल्दी आना,
नहीं श्याम भूल जाना,
राधा को साथ लाना,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
सुधि होवे नाहीं तन की,
तैयारी हो गमन की,
लकड़ी हो बृज के वन की,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
एक भक्त की है अरजी,
खुदगर्ज की है गरजी,
आगे तुम्हारी मरज़ी,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
ये नेक सी अरज है,
मानों तो क्या हरज है,
कुछ आप का फ़रज है,
जब प्राण तन से निकले,
इतना तो करना स्वामी,
जब प्राण तन से निकलें।
Itna to Karna Swami jab Praan tan se Nikle Narayan Swami Bhajan - Gujarati Mi
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen,
Govind Naam Lekar,
Phir Praan Tan Se Nikale.
Shri Ganga Ji Ka Tat Ho,
Yamuna Ka Vanshivat Ho,
Mera Saanvara Nikat Ho,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Pitaambari Kasi Ho,
Chhavi Man Mein Yah Basi Ho,
Honthon Pe Kuchh Hansi Ho,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Shri Vrndaavan Ka Sthal Ho,
Mere Mukh Mein Tulasi Dal Ho,
Vishnu Charan Ka Jal Ho,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Jab Kanth Praan Aave,
Koi Rog Na Sataave,
Yam Darshana Dikhaave,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Us Vaqt Jaldi Aana,
Nahin Shyaam Bhul Jaana,
Raadha Ko Saath Laana,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Sudhi Hove Naahin Tan Ki,
Taiyaari Ho Gaman Ki,
Lakadi Ho Brj Ke Van Ki,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Ek Bhakt Ki Hai Araji,
Khudagarj Ki Hai Garaji,
Aage Tumhaari Marazi,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Ye Nek Si Araj Hai,
Maanon To Kya Haraj Hai,
Kuchh Aap Ka Faraj Hai,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Jab Praan Tan Se Nikalen,
Govind Naam Lekar,
Phir Praan Tan Se Nikale.
Shri Ganga Ji Ka Tat Ho,
Yamuna Ka Vanshivat Ho,
Mera Saanvara Nikat Ho,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Pitaambari Kasi Ho,
Chhavi Man Mein Yah Basi Ho,
Honthon Pe Kuchh Hansi Ho,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Shri Vrndaavan Ka Sthal Ho,
Mere Mukh Mein Tulasi Dal Ho,
Vishnu Charan Ka Jal Ho,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Jab Kanth Praan Aave,
Koi Rog Na Sataave,
Yam Darshana Dikhaave,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Us Vaqt Jaldi Aana,
Nahin Shyaam Bhul Jaana,
Raadha Ko Saath Laana,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Sudhi Hove Naahin Tan Ki,
Taiyaari Ho Gaman Ki,
Lakadi Ho Brj Ke Van Ki,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Ek Bhakt Ki Hai Araji,
Khudagarj Ki Hai Garaji,
Aage Tumhaari Marazi,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Ye Nek Si Araj Hai,
Maanon To Kya Haraj Hai,
Kuchh Aap Ka Faraj Hai,
Jab Praan Tan Se Nikale,
Itana To Karana Svaami,
Jab Praan Tan Se Nikalen.
Itna to Karna Swami jab Praan tan se Nikle Narayan Swami Bhajan - Gujarati Mi
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले -
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले
श्री गंगा जी का तट हो,
यमुना का वंशीवट हो
मेरा सांवरा निकट हो
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
पीताम्बरी कसी हो
छवि मन में यह बसी हो
होठों पे कुछ हसी हो
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
श्री वृन्दावन का स्थल हो
मेरे मुख में तुलसी दल हो
विष्णु चरण का जल हो
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
जब कंठ प्राण आवे
कोई रोग ना सतावे
यम दर्शना दिखावे
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
उस वक़्त जल्दी आना
नहीं श्याम भूल जाना
राधा को साथ लाना
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
सुधि होवे नाही तन की
तैयारी हो गमन की
लकड़ी हो ब्रज के वन की
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
एक भक्त की है अर्जी
खुदगर्ज की है गरजी
आगे तुम्हारी मर्जी
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
ये नेक सी अरज है
मानो तो क्या हरज है
कुछ आप का फरज है
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
Author - Saroj Jangir
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