कानूड़ा लाल घड़लो म्हारो लिरिक्स Kaanuda Laal Ghadalo Mharo Bhar De Re
इस लोकगीत में कृष्णा और राधा जी के मध्य का संवाद है जब गोपियाँ यमुना के तट पर जल भरने जाती हैं, जिसमे राधा जी कृष्ण जी को कहती हैं की कानुड़ा लाल (कृष्ण ) आप मेरा घड़ा पानी का भर दो। इस लोक गीत का हिंदी अर्थ निचे दिया गया है।
कानूड़ा लाल घड़लो म्हारो भर दे रै,
भर दे, ऊंचा दे, सर पर धर दे रै,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
तू मत जाणी कान्हाँ आई हूँ अकेली,
तू मत जाणी कान्हा, आई हूँ अकेली,
सात सहेल्याँ म्हारे संग छै रै,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
यसोदा लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
तू मत जाणी कान्हा, दूर गाँव की,
बरसाणे म्हारो घर छै रे,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
तू मत जाणी कान्हाँ, अकन कँवारी,
श्री कृष्ण म्हारो वर छै रै,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
भर दे, ऊंचा दे, सर पर धर दे रै,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
भर दे, ऊंचा दे, सर पर धर दे रै,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
तू मत जाणी कान्हाँ आई हूँ अकेली,
तू मत जाणी कान्हा, आई हूँ अकेली,
सात सहेल्याँ म्हारे संग छै रै,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
यसोदा लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
तू मत जाणी कान्हा, दूर गाँव की,
बरसाणे म्हारो घर छै रे,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
तू मत जाणी कान्हाँ, अकन कँवारी,
श्री कृष्ण म्हारो वर छै रै,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
भर दे, ऊंचा दे, सर पर धर दे रै,
कानूड़ा लाल घडलो म्हारो भर दे रै,
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै।
कानूड़ा लाल घड़लो म्हारो भर दे रै : कानुड़ा लाल-बाल कृष्ण। कृष्ण आप मेरा घड़ा भर दो (यमुना तट से पानी से घड़े को भर दो )
भर दे, ऊंचा दे, सर पर धर दे रै : इस घड़े को भर कर मेरे माथे पर रख दो। ऊँचा दे- किसी वस्तु आदि को निचे से उठाकर सर पर रखने को "ऊंचाना" कहते हैं।
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै : हे नन्द जी के लाल आप मेरा घड़ा भर दो।
तू मत जाणी कान्हाँ आई हूँ अकेली : कृष्ण जी की लीलाओं का सभी को भान था, इस पर गोपिका कहती हैं की तुम ऐसा मत जानना की मैं अकेली आई हूँ।
सात सहेल्याँ म्हारे संग छै रै : मेरी सात सहेलिया मेरे साथ हैं। छै -है। म्हारे-मेरे।
यसोदा लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै : यसोदा के लाल मेरा घड़ा भर दो।
तू मत जाणी कान्हा, दूर गाँव की : कान्हां तुम ऐसा मत जानना की मैं दूर किसी गाँव की हूँ (मैं दूर की नहीं हूँ )
बरसाणे म्हारो घर छै रे : मेरा गाँव तो बरसाना ही है।
तू मत जाणी कान्हाँ, अकन कँवारी : तुम मुझे कुँवारी मत समझना।
श्री कृष्ण म्हारो वर छै रै : मेरे वर/पति तो श्री कृष्ण जी हैं।
भर दे, ऊंचा दे, सर पर धर दे रै : इस घड़े को भर कर मेरे माथे पर रख दो। ऊँचा दे- किसी वस्तु आदि को निचे से उठाकर सर पर रखने को "ऊंचाना" कहते हैं।
नन्द जी का लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै : हे नन्द जी के लाल आप मेरा घड़ा भर दो।
तू मत जाणी कान्हाँ आई हूँ अकेली : कृष्ण जी की लीलाओं का सभी को भान था, इस पर गोपिका कहती हैं की तुम ऐसा मत जानना की मैं अकेली आई हूँ।
सात सहेल्याँ म्हारे संग छै रै : मेरी सात सहेलिया मेरे साथ हैं। छै -है। म्हारे-मेरे।
यसोदा लाल, घड़लो म्हारों भर दे रै : यसोदा के लाल मेरा घड़ा भर दो।
तू मत जाणी कान्हा, दूर गाँव की : कान्हां तुम ऐसा मत जानना की मैं दूर किसी गाँव की हूँ (मैं दूर की नहीं हूँ )
बरसाणे म्हारो घर छै रे : मेरा गाँव तो बरसाना ही है।
तू मत जाणी कान्हाँ, अकन कँवारी : तुम मुझे कुँवारी मत समझना।
श्री कृष्ण म्हारो वर छै रै : मेरे वर/पति तो श्री कृष्ण जी हैं।
Kanuda Lal Ghadalo - Krishna Janmashtami Songs Krishna Bhajans Rajasthani Folk Song | कृष्णा भजन
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Bhar De, uncha De, Sar Par Dhar De Rai,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Nand Ji Ka Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Tu Mat Jaani Kaanhaan Aai Hun Akeli,
Tu Mat Jaani Kaanha, Aai Hun Akeli,
Saat Sahelyaan Mhaare Sang Chhai Rai,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Yasoda Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Tu Mat Jaani Kaanha, Dur Gaanv Ki,
Barasaane Mhaaro Ghar Chhai Re,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Nand Ji Ka Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Tu Mat Jaani Kaanhaan, Akan Kanvaari,
Shri Krshn Mhaaro Var Chhai Rai,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Nand Ji Ka Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Bhar De, uncha De, Sar Par Dhar De Rai,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Nand Ji Ka Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Bhar De, uncha De, Sar Par Dhar De Rai,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Nand Ji Ka Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Tu Mat Jaani Kaanhaan Aai Hun Akeli,
Tu Mat Jaani Kaanha, Aai Hun Akeli,
Saat Sahelyaan Mhaare Sang Chhai Rai,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Yasoda Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Tu Mat Jaani Kaanha, Dur Gaanv Ki,
Barasaane Mhaaro Ghar Chhai Re,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Nand Ji Ka Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Tu Mat Jaani Kaanhaan, Akan Kanvaari,
Shri Krshn Mhaaro Var Chhai Rai,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Nand Ji Ka Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Bhar De, uncha De, Sar Par Dhar De Rai,
Kaanuda Laal Ghadalo Mhaaro Bhar De Rai,
Nand Ji Ka Laal, Ghadalo Mhaaron Bhar De Rai.
Author - Saroj Jangir
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