आओ मैं सुनाऊँ तुमको,
जीवन का यह सार,
कभी चोरी लालच का,
ना करो,
जीवन में व्यवहार,
जीवन के दिन चार,
ये काठ की हांडी है,
आग पर चढ़े ना बारम्बार,
जीवन के दिन चार,
कभी चोरी लालच का,
ना करो,
जीवन में व्यवहार,
जीवन के दिन चार।
संतों की वाणी है,
वेदों का है ये भेद,
जिस थाली मैं खाओ,
उसमें करो ना छेद,
यह सत्य जो जाना,
उसका हो गया बेड़ा पार,
जीवन के दिन चार।
हरी का भजन तू कर,
धन को ना बीच ला,
व्यापार जब करे,
छल को ना बीच ला,
तू प्यार की भाषा से,
जीत ले सबके मन का प्यार,
जीवन के दिन चार।
तू मन की बगिया में,
भक्ति का बो ले बीज,
ले खाद श्रद्धा की,
इसको लगन से सींच,
लग जायेगी आँगन में तेरे,
खुशियों का अम्बार,
जीवन के दिन चार।
कभी चोरी लालच का,
ना करो,
जीवन में व्यवहार,
जीवन के दिन चार,
ये काठ की हांडी है,
आग पर चढ़े ना बारम्बार,
जीवन के दिन चार,
कभी चोरी लालच का,
ना करो,
जीवन में व्यवहार,
जीवन के दिन चार।
कभी चोरी लालच का,
ना करो,
जीवन में व्यवहार,
जीवन के दिन चार,
ये काठ की हांडी है,
आग पर चढ़े ना बारम्बार,
जीवन के दिन चार,
कभी चोरी लालच का,
ना करो,
जीवन में व्यवहार,
जीवन के दिन चार।
संतों की वाणी है,
वेदों का है ये भेद,
जिस थाली मैं खाओ,
उसमें करो ना छेद,
यह सत्य जो जाना,
उसका हो गया बेड़ा पार,
जीवन के दिन चार।
हरी का भजन तू कर,
धन को ना बीच ला,
व्यापार जब करे,
छल को ना बीच ला,
तू प्यार की भाषा से,
जीत ले सबके मन का प्यार,
जीवन के दिन चार।
तू मन की बगिया में,
भक्ति का बो ले बीज,
ले खाद श्रद्धा की,
इसको लगन से सींच,
लग जायेगी आँगन में तेरे,
खुशियों का अम्बार,
जीवन के दिन चार।
कभी चोरी लालच का,
ना करो,
जीवन में व्यवहार,
जीवन के दिन चार,
ये काठ की हांडी है,
आग पर चढ़े ना बारम्बार,
जीवन के दिन चार,
कभी चोरी लालच का,
ना करो,
जीवन में व्यवहार,
जीवन के दिन चार।
Karmo Ki Hai Maaya - Kabhi Chori Lalach Ka Vyavhaar- Kumar Vishu
Jivan Ka Yah Saar,
Kabhi Chori Laalach Ka,
Na Karo,
Jivan Mein Vyavahaar,
Jivan Ke Din Chaar,
Ye Kaath Ki Haandi Hai,
Aag Par Chadhe Na Baarambaar,
Jivan Ke Din Chaar,
Kabhi Chori Laalach Ka,
Na Karo,
Jivan Mein Vyavahaar,
Jivan Ke Din Chaar.
Santon Ki Vaani Hai,
Vedon Ka Hai Ye Bhed,
Jis Thaali Main Khao,
Usamen Karo Na Chhed,
Yah Saty Jo Jaana,
Usaka Ho Gaya Beda Paar,
Jivan Ke Din Chaar.
Hari Ka Bhajan Tu Kar,
Dhan Ko Na Bich La,
Vyaapaar Jab Kare,
Chhal Ko Na Bich La,
Tu Pyaar Ki Bhaasha Se,
Jit Le Sabake Man Ka Pyaar,
Jivan Ke Din Chaar.
Tu Man Ki Bagiya Mein,
Bhakti Ka Bo Le Bij,
Le Khaad Shraddha Ki,
Isako Lagan Se Sinch,
Lag Jaayegi Aangan Mein Tere,
Khushiyon Ka Ambaar,
Jivan Ke Din Chaar.
Kabhi Chori Laalach Ka,
Na Karo,
Jivan Mein Vyavahaar,
Jivan Ke Din Chaar,
Ye Kaath Ki Haandi Hai,
Aag Par Chadhe Na Baarambaar,
Jivan Ke Din Chaar,
Kabhi Chori Laalach Ka,
Na Karo,
Jivan Mein Vyavahaar,
Jivan Ke Din Chaar.
Author - Saroj Jangir
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