मैया कबहुँ बढ़ेगी चोटी लिरिक्स हिंदी मीनिंग Maiya Kabahu Badhegi Choti Lyrics Meaning (Soordaas Padya Hindi Meaning)
यह पद सूरदास जी के द्वारा रचित है जिसमे बाल कृष्ण अपनी माता से संवाद करते हुए पूछते हैं की मैया, मेरी चोटी कब बढ़ेगी ? मैं तो काफी समय से तुम्हारे कहने पर दूध पी रहा हूँ। इस भजन का हिंदी अर्थ निचे दिया गया है।
मैया कबही बढ़ैगी चोटी
जीती बार मोहे दूध पीवत भई,
यह अजहुँ है छोटी,
मैया कबही बढ़ैगी चोटी,
मैया कबही बढ़ेगी चोटी।
मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी, जीती बार मोहे दूध पीवत भई, यह अजहुँ है छोटी (किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूं है छोटी ) : बाल श्री कृष्ण अपनी मैया से पूछते हैं की मुझे कच्चा दूध पीते हुए कितनी देर हो गई है, मैं काफी समय से दूध पी रहा हूँ लेकिन मेरी चोटी तो बढ़ ही नहीं रही है, मैया आप बताओ की मेरी चोटी कब बढ़ेगी, यह तो अब भी छोटी ही है। इसमें बाल कृष्ण का अधीर होना दर्शाया गया है )
कबहुं : कब।
चोटी : शिखा।
जीती बार : बहुत बार, काफी समय से।
मोहे दूध पीवत भई : मुझे दूध पीते हो गया है।
यह अजहुँ है छोटी : यह अभी भी (अजहुँ) छोटी ही है।
कबहुं : कब।
चोटी : शिखा।
जीती बार : बहुत बार, काफी समय से।
मोहे दूध पीवत भई : मुझे दूध पीते हो गया है।
यह अजहुँ है छोटी : यह अभी भी (अजहुँ) छोटी ही है।
तू जो कहत बल की बैनी,
ज्यों ह्वै है लांबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत,
जैहै नागिन सी भुई लोटी
मैया कबही बढ़ैगी चोटी,
मैया कबही बढ़ेगी चोटी।
मैया कबही बढ़ैगी चोटी,
मैया कबही बढ़ेगी चोटी।
ज्यों ह्वै है लांबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत,
जैहै नागिन सी भुई लोटी
मैया कबही बढ़ैगी चोटी,
मैया कबही बढ़ेगी चोटी।
मैया कबही बढ़ैगी चोटी,
मैया कबही बढ़ेगी चोटी।
तू जो कहत बल की बैनी, ज्यों ह्वै है लांबी मोटी, काढ़त गुहत न्हवावत, जैहै नागिन सी भुई लोटी : मैया तुमने तो कहा था की दूध पीने से मेरी चोटी बलराम की चोटी की भाँती लम्बी और मोटी हो जायेगी। वह लम्बी और मोटी होने के अतिरिक्त कंघा करते, बालों को गूंथते और स्नान करते समय नागिन की तरह से भूमि पर लोट पलोट करेगी, नागिन की तरह से भूमि पर लटकेगी।
तू जो कहति : तुम तो कहती थी की।
बल की बेनी ज्यों : बलराम की चोटी की भांति से।
ह्वै है लांबी मोटी : लम्बी और मोटी हो जायेगी।
काढ़त : कंघा करते हुए।
गुहत : गूंथते हुए।
न्हवावत : नहाते हुए।
जैहै नागिन सी : नागिन के समान।
भुई लोटी : जमीन पर, भूमि पर लौटेगी।
तू जो कहति : तुम तो कहती थी की।
बल की बेनी ज्यों : बलराम की चोटी की भांति से।
ह्वै है लांबी मोटी : लम्बी और मोटी हो जायेगी।
काढ़त : कंघा करते हुए।
गुहत : गूंथते हुए।
न्हवावत : नहाते हुए।
जैहै नागिन सी : नागिन के समान।
भुई लोटी : जमीन पर, भूमि पर लौटेगी।
काचों दूध पिआवत पचि पचि,
देति न माखन रोटी,
सूर श्याम चिरजीवौ दोउ भैया,
हरि हलधर की जोटी।।
मैया कबही बढ़ैगी चोटी,
मैया कबही बढ़ेगी चोटी।
देति न माखन रोटी,
सूर श्याम चिरजीवौ दोउ भैया,
हरि हलधर की जोटी।।
मैया कबही बढ़ैगी चोटी,
मैया कबही बढ़ेगी चोटी।
काचों दूध पिआवत पचि पचि, देति न माखन रोटी : मैया तुम तो मुझसे जिद करके, पच (माथापच्ची) करके कच्चा दूध पिलाती हो, और मुझे माखन रोटी भी नहीं देती हो। मैया से बाल कृष्ण कहते हैं की आप शायद मुझसे झूठ बोलकर मुझे माखन रोटी नहीं देकर मुझे कच्चा दूध पिलाती हो।
काचों दूध : कच्चा दूध, धारोष्ण
पिआवत : पिलाती हो।
पचि पचि : मुझसे जिद करके, हठपूर्वक।
देति न माखन रोटी : मुझे माखन रोटी नहीं देती हो।
काचों दूध : कच्चा दूध, धारोष्ण
पिआवत : पिलाती हो।
पचि पचि : मुझसे जिद करके, हठपूर्वक।
देति न माखन रोटी : मुझे माखन रोटी नहीं देती हो।
सूर श्याम चिरजीवौ दोउ भैया, हरि हलधर की जोटी (सूरदास त्रिभुवन मनमोहन हरि हलधर की जोटी) : अंत में सुदास जी बलराम और बालकृष्ण की जोड़ी के चिरंजीवी होने की मंगल कामना करते हैं।
सूर श्याम चिरजीवौ : सूरदास जी दोनों भाइयों के चिरंजीवी होने की कामना करते हैं।
दोउ भैया : दोनों भाई।
हरि हलधर : हरी, श्री कृष्ण और हलधर (बलराम)
जोटी : जोड़ी।
सूर श्याम चिरजीवौ : सूरदास जी दोनों भाइयों के चिरंजीवी होने की कामना करते हैं।
दोउ भैया : दोनों भाई।
हरि हलधर : हरी, श्री कृष्ण और हलधर (बलराम)
जोटी : जोड़ी।
मूल पाठ
मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी।
किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूं है छोटी॥
तू जो कहति बल की बेनी ज्यों ह्वै है लांबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै नागिन-सी भुई लोटी॥
काचो दूध पियावति पचि पचि देति न माखन रोटी।
सूरदास त्रिभुवन मनमोहन हरि हलधर की जोटी॥
पाठान्तर
मैया, कबहुँ बढ़ेगी चोटी,
किती बेर मोहि दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, है है लाँबी मोटी।।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सी भुइँ लोटी।।
काचो दूध पियावति पचि पचि, देति न माखन रोटी।।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि हलधर की जोटी।।
मैया कबहुं बढ़ैगी चोटी।
किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूं है छोटी॥
तू जो कहति बल की बेनी ज्यों ह्वै है लांबी मोटी।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै नागिन-सी भुई लोटी॥
काचो दूध पियावति पचि पचि देति न माखन रोटी।
सूरदास त्रिभुवन मनमोहन हरि हलधर की जोटी॥
पाठान्तर
मैया, कबहुँ बढ़ेगी चोटी,
किती बेर मोहि दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, है है लाँबी मोटी।।
काढ़त गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सी भुइँ लोटी।।
काचो दूध पियावति पचि पचि, देति न माखन रोटी।।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि हलधर की जोटी।।
You Tube Lin : https://www.youtube.com/watch?v=Au_lZd0srcs
Maiya Kabhi Badhegi Choti By Anup Jalota | Lord Krishna Bhajans | Devotional Hindi Songs
Maiya Kabahun Badhaigi Choti.
Kiti Ber Mohi Dudh Piyat Bhi Yah Ajahun Hai Chhoti.
Tu Jo Kahati Bal Ki Beni Jyon Hvai Hai Laambi Moti.
Kaadhat Guhat Nhavaavat Jaihai Naagin-si Bhui Loti.
Kaacho Dudh Piyaavati Pachi Pachi Deti Na Maakhan Roti.
Suradaas Tribhuvan Manamohan Hari Haladhar Ki Joti.
Kiti Ber Mohi Dudh Piyat Bhi Yah Ajahun Hai Chhoti.
Tu Jo Kahati Bal Ki Beni Jyon Hvai Hai Laambi Moti.
Kaadhat Guhat Nhavaavat Jaihai Naagin-si Bhui Loti.
Kaacho Dudh Piyaavati Pachi Pachi Deti Na Maakhan Roti.
Suradaas Tribhuvan Manamohan Hari Haladhar Ki Joti.
Maiya Kabhi Badhegi Choti By Anup Jalota | Lord Krishna Bhajans | Devotional Hindi Songs Song Name : Maiya Kabhi Badhegi Choti
Singer Name : Anup Jalota
Lord Krishna Bhajans
Language : Hindi
Singer Name : Anup Jalota
Lord Krishna Bhajans
Language : Hindi
Author - Saroj Jangir
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