ममिता मेरा क्या करै मीनिंग
ममिता मेरा क्या करै मीनिंग
ममिता मेरा क्या करै, प्रेम उघाड़ी पौलि।दरसन भया दयाल का, सूल भई सुख सौड़ि॥
Mamita Mera Kya Kare, Prem Ughadi Pouli,
Darshan Bhaya Dayaal Ka, Sool Bhai Sukh Soudi.
कबीर दोहा/साखी हिंदी शब्दार्थ
- ममिता : ममता, माया मोह।
- मेरा क्या करै : मेरा क्या कर सकती हैं, मेरा क्या बिगाड़ सकती है।
- प्रेम : प्रभु की भक्ति।
- उघाड़ी : उघाड़ दी, खोल दी। रहस्य से पर्दा उठना.
- पौलि : मुख्य दरवाजा, पौल।
- दरसन : दर्शन।
- दयाल : ईश्वर/स्वामी।
- सूल : पथ के शूल, काँटे, कंटक।
- भई सुख : सुख प्राप्त हुआ।
- सौड़ि : सुख, लिहाफ़, गद्दा/चादर।
कबीर दोहा/साखी हिंदी मीनिंग
सांसारिक मोह माया (विकार, लगाव) अब मेरा क्या कर सकते हैं क्योंकि भक्ति से प्रभु रूपी रहस्य का दरवाजा खुल गया है। जब मुझको प्रभु प्रेम, भक्ति का मार्ग दिखाई दे गया है तो सांसारिक लगाव, और भटकाव मुझे पथ भ्रष्ट नहीं कर सकते हैं।
मोह माया जिन्हे ममता कहा गया है, यह भक्ति में बाधक है। जब तक जीवात्मा सांसारिक कार्यों में स्वंय का जुड़ाव रखती है, वह एक तरह के बंधन में बंधी रहती है। यह बंधन ही उसे भक्ति मार्ग से विचलित करता है। कबीर साहेब ने यह स्पष्ट किया है की जब गुरु की कृपा से, सद्गुरु से प्राप्त ज्ञान के आधार पर प्रभु ज्ञान रूपी घर का पौली/मुख्य दरवाजा खुल जाता है तो तमाम आकर्षण स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।
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Author - Saroj Jangir
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