कबीर हरि रस यौं पिया हिंदी मीनिंग Kabir Hari Ras Yo Piya Meaning kabir Ke Dohe

कबीर हरि रस यौं पिया हिंदी मीनिंग Kabir Hari Ras Yo Piya Meaning kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Meaning)

कबीर हरि रस यौं पिया बाकी रही न थाकि।
पाका कलस कुँभार का, बहुरि न चढ़हिं चाकि॥

Kabir Hari Ras Yo Piya Baaki Rahi Na Thaaki,
Paaka Kalash Kumbhaar Ka, Bahuri Na Chadhahi Chaaki.

कबीर दोहा/साखी हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha/Sakhi Word Meanin Hindi Shabdaarth

हरि रस : भक्ति रस।
यौं पिया : ऐसे ग्रहण किया, ऐसे पिया, भाव है की खूब जी भर कर ग्रहण किया.
बाकी रही न : बाकी कुछ रहा नहीं कुछ शेष नहीं रहा।
थाकि : थकावट, कमजोरी, शिथिलता।
पाका कलस : अग्नि में पका हुआ कलश।
कुँभार का : कुम्भकार का, बर्तन बनाने वाला।
बहुरि न चढ़हिं : दुबारा नहीं चढ़ेगा।
चाकि : गोल गोल घूमने वाले यंत्र जिस पर कुम्भकार घड़े को आकार देता है।

कबीर दोहा/साखी हिंदी अर्थ मीनिंग Kabir Doha/Sakhi Hindi Arth/Matlab (Hindi Meaning)

कबीर साहेब इस दोहे में वाणी देते हैं की उन्होंने हरि भक्ति रूपी रस का आस्वादन खूब जी भर कर कर लिया है। जी भर कर पीने से आशय है की उन्होंने भक्ति की गहराई को प्राप्त कर लिया है, छक कर / जी भर कर हरी रस को ग्रहण कर लिया है।
 बाकी रही ना थाकि से दो अर्थ लिए जा सकते हैं, एक तो की इतना ग्रहण कर लिया है की कुछ शेष नहीं रहा है और एक दूसरे अर्थ में यह भी की अब कोई थकान, सांसारिक संताप आदि महत्वहीन हो गए हैं। ऐसी अवस्था में साधक की साधना पूर्णता को प्राप्त हो जाती है और अब संसार में उसके लिए कुछ शेष नहीं बचता है। जैसे कुम्भकार चाक पर कच्ची मिटटी से घड़ा बनाता है और उसे अग्नि में पका कर ठोस रूप दे देता है, इसके उपरान्त पुनः उसे चाक पर चढाने की कोई आवश्यकता नहीं होती है ऐसे ही साधक अब पूर्ण हो गया है उसे पुनः किसी जतन की आवश्यकता नहीं रह गई है। एक तरह से वह भक्ति में पक गया है और पुनः उसे इस चक्र का उपयोग नहीं करना पड़ता है। भाव है की उसे आवागमन चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
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1 टिप्पणी

  1. Kaun sa alankar hai?