अमृत बरसै हीरा निपजै मीनिंग कबीर के दोहे

अमृत बरसै हीरा निपजै मीनिंग Amrit Barase Heera Nipaje Meaning Kabir Doha/Sakhi

अमृत बरसै हीरा निपजै, घंटा पड़ै टकसाल।
कबीर जुलाहा भया पारषू, अगभै उतर्‌या पार॥

Amrit Barase Heera Nipaje, Ghanta Pade Taksaal,
Kabir Julaha Bhaya Paarkhu, Agabhe Utaraya Paar.
 
अमृत बरसै हीरा निपजै, घंटा पड़ै टकसाल। कबीर जुलाहा भया पारषू, अगभै उतर्‌या पार॥
 

कबीर दोहा/साखी हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha/Sakhi Hindi Word Meaning

अमृत बरसै : अमृत की बरसात हो रही है।
हीरा निपजै : हीरा पैदा हो रहा है।
घंटा पड़ै : अनहद नाद ध्वनि।
टकसाल : मानस्तत्व।
कबीर जुलाहा भया : कबीर तो जुलाहा हो चूका है।
पारषू अगभै : अनुभव।
उतर्‌या पार : भव से पार हो जाना,

कबीर दोहा/साखी हिंदी मीनिंग Kabir Doha/Sakhi Meaning in Hindi

इश्वर मिलन के सुख का वर्णन करते हुए कबीर साहेब वाणी देते हैं की इश्वर के समीप निरंतर ही अमृत रस बह रहा है, निरंतर अमृत रस की बरसात हो रही है. उस स्थान पर निरंतर ही अनहद नाद बजता रहता है. ज्ञान रूपी मोती/मुक्त उसी स्थान पर उत्पन्न होते हैं. कबीर जुलाहा उसका अब पारखी बन चूका है, जुलाहा होकर भी वह उस परमतत्व को पहचान चूका है. परम तत्व आंतरिक है, बाह्य नहीं इसे गुरु ही समझा सकता है। यह सहजावस्था है, जिसमे हरी का रस स्वतः ही बहता है। अनभै से आशय है की अब उसकी समस्त शंकाओं का समाधान हो चूका है और वह इस भव सागर से पार उतर गया है। 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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