मेरी नाव पड़ी मझधार बड़ी दूर किनारा

मेरी नाव पड़ी मझधार बड़ी दूर किनारा

मेरी नाव पड़ी मझधार,
बड़ी दूर किनारा,
तेरे बिन लखदातार,
बता कौन हमारा,
मेरी नाव पड़ी मझधार,
बड़ी दूर किनारा।।

डगमगाए कश्ती ग़म के,
तूफ़ान छाए है,
जिनका भरोसा था वो,
हो गए पराए है,
कोई सुनता नहीं पुकार,
कई बार पुकारा,
मेरी नाव पड़ी मझधार,
बड़ी दूर किनारा।।

थाम पतवार श्याम,
देर क्यों लगाई है,
तारा है ज़माना, बारी
आज मेरी आई है,
तुझे कहता है संसार,
हारे का सहारा,
मेरी नाव पड़ी मझधार,
बड़ी दूर किनारा।।

पल पल निराश किया,
जग की उदासी ने,
द्वार पे पसारा दामन,
किशन ब्रजवासी ने,
पल में करता भवपार,
ये नाम तुम्हारा,
मेरी नाव पड़ी मझधार,
बड़ी दूर किनारा।।

मेरी नाव पड़ी मझधार,
बड़ी दूर किनारा,
तेरे बिन लखदातार,
बता कौन हमारा,
मेरी नाव पड़ी मझधार,
बड़ी दूर किनारा।।


मेरी नाव पड़ी मझधार, बड़ी दूर किनारा||Surbhi Chaturvedi|| shyam bhajan|| Bhakti Digital

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