रोये रोये पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी
रोये रोये पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी
रोए रोए पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी
ऐसे जाकर नैनों, हाँ जी जाकर नैनों बरसते नीर।
व्याह रचावे भैया शिशुपाल से जी
ऐसे मेरा प्यार दुश्मन हो गया जी,
रोए रोए पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी।
आए खबरिया जल्दी मेरी लीजिए जी
ऐसे कोई नंद सुघन यदुवीर।
रोए रोए पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी।
जो नहीं आए जल्दी मेरे साँवरे जी
ऐसे अपने प्राणों को करूंगी मैं अखीर।
रोए रोए पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी।
ऐसे जाकर नैनों, हाँ जी जाकर नैनों बरसते नीर।
व्याह रचावे भैया शिशुपाल से जी
ऐसे मेरा प्यार दुश्मन हो गया जी,
रोए रोए पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी।
आए खबरिया जल्दी मेरी लीजिए जी
ऐसे कोई नंद सुघन यदुवीर।
रोए रोए पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी।
जो नहीं आए जल्दी मेरे साँवरे जी
ऐसे अपने प्राणों को करूंगी मैं अखीर।
रोए रोए पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही जी।
सावन की मल्हार || रोये रोये पाती रुक्मणि बिटिया लिख रही
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Author - Saroj Jangir
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