कान्हा कैसी करी है चतुराई रे
कान्हा कैसी करी है चतुराई रे
कान्हा कैसी करी है चतुराई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
तूने मथुरा नगरी में जन्म लिया,
तेरे एक पिता दो मात हुई।
गोकुल में बंटी बधाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तूने ग्वाल बाल का साथ दिया,
तूने काली नाग को नाथ लिया।
यमुना पे गऊ चराई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तूने राधा का मन मोह लिया,
तूँ तो घट घट में भी समा ही गया।
तूने कैसी प्रीत निभाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तूँ मथुरा नगरी जब चल पड़ा,
मामा का वैरी बनने गया।
मां बाप की जेल छुड़ाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तूने यार सुदामा बना लिया,
तूने नगरी अपनी बुला लिया।
मल मल के पैर धुलाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तुम नर सिंह के संग जब चल पड़े,
तूने दुखियों के दुःख दूर किए।
बने हर नंदी के भाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
राणा ने प्याला भेज दिया,
तुम तो प्याले के अंदर समा ही गए।
मीरा को दिए दिखाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तुम तो महाँ भारत में पहुँच गए,
अर्जुन के रथ को हाँक रहे।
तूने धर्म की लाज़ बचाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
तूने मथुरा नगरी में जन्म लिया,
तेरे एक पिता दो मात हुई।
गोकुल में बंटी बधाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तूने ग्वाल बाल का साथ दिया,
तूने काली नाग को नाथ लिया।
यमुना पे गऊ चराई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तूने राधा का मन मोह लिया,
तूँ तो घट घट में भी समा ही गया।
तूने कैसी प्रीत निभाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तूँ मथुरा नगरी जब चल पड़ा,
मामा का वैरी बनने गया।
मां बाप की जेल छुड़ाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तूने यार सुदामा बना लिया,
तूने नगरी अपनी बुला लिया।
मल मल के पैर धुलाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तुम नर सिंह के संग जब चल पड़े,
तूने दुखियों के दुःख दूर किए।
बने हर नंदी के भाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
राणा ने प्याला भेज दिया,
तुम तो प्याले के अंदर समा ही गए।
मीरा को दिए दिखाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
तुम तो महाँ भारत में पहुँच गए,
अर्जुन के रथ को हाँक रहे।
तूने धर्म की लाज़ बचाई रे,
यह मेरी समझ नहीं आई रे॥
कान्हा कैसी करी है।
कान्हा कैसी करी है चतुराई || Saroj Sargam || Krishan Bhajan | Superhit Radha Krishan Bhajan
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Author - Saroj Jangir
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