हरि नाम नहीं तो जीना क्या भजन
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या,
हरि नाम नहीं तो जीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या।
(अमृत है हरि नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या,
हरि नाम नहीं तो जीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या। )
काल सदा अपने रस डौले,
ना जाने कब सर चढ़ बौले,
(काल सदा अपने रस डौले,
ना जाने कब सर चढ़ बोले)
हरी का नाम जपो निश्वासर,
इसमें अब बरस महीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या।
(अमृत है हरि नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या,
हरि नाम नहीं तो जीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या। )
तीरथ है हरि नाम तुम्हारा,
फिर क्यूँ फिरता मारा मारा।
(तीरथ है हरि नाम तुम्हारा,
फिर क्यों फिरता मारा मारा)
अंत समय हरि नाम ना आवे,
फिर काशी और मदीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या।
(अमृत है हरि नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या,
हरि नाम नहीं तो जीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या। )
भूषन से सब अंग सजावें,
रसना पर हरि नाम ना आवे,
देह पड़ी रह जावे यहीं पर,
फिर कुंडल और नगीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या।
(अमृत है हरि नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या,
हरि नाम नहीं तो जीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या। )
अमृत है हरि नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या,
हरि नाम नहीं तो जीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या।
(अमृत है हरि नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय विष पीना क्या,
हरि नाम नहीं तो जीना क्या,
हरी नाम नही तो जीना क्या। )
हरि नाम नहीं तो जीना क्या? भजन पूज्य राजन जी महाराज - संपर्क सूत्र.- +919831877060, +919038822776
श्रीकृष्णजी का नाम वो अमृत है, जो मन को शांति और जीवन को अर्थ देता है। दुनिया की माया और झूठी चमक के पीछे भागने से क्या फायदा, जब सच्चा सुख तो उनके नाम में ही बस्ता है। बिना इसके जीवन सूना है, जैसे बिना पानी के प्यास बुझने का कोई रास्ता न हो। समय का खेल अनिश्चित है, कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। ऐसे में हर सांस के साथ श्रीकृष्णजी का नाम जपना ही सबसे बड़ा सहारा है। दिन-महीने गिनने की क्या जरूरत, जब हर पल उनका नाम साथ हो। जैसे कोई प्यासा कुएं के पास पहुंचकर पानी पी ले, वैसे ही उनका नाम मन को तृप्त करता है।
तीर्थों में भटकने से ज्यादा शक्ति उनके नाम में है। काशी हो या मदीना, अगर अंत समय में उनका नाम न आए, तो सब व्यर्थ है। उनका नाम ही वो तीर्थ है, जो हर दुख से मुक्ति देता है। जैसे कोई घर की राह भूलकर इधर-उधर भटकता रहे, वही हाल है बिना नाम के जीवन का। दुनिया के गहने और सजावट बस देह तक सीमित हैं। अगर जीभ पर श्रीकृष्णजी का नाम न हो, तो ये सब बेकार है। शरीर तो यहीं रह जाएगा, लेकिन उनका नाम आत्मा को साथ ले जाता है। जैसे कोई रास्ते में सुंदर फूल तोड़ ले, पर असली खुशबू तो उनके नाम में ही है।
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Author - Saroj Jangir
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