जाँभण मरण बिचारि करि मीनिंग

जाँभण मरण बिचारि करि मीनिंग

जाँभण मरण बिचारि करि, कूडे काँम निबारी।
जिनि पंथू तुझ चालणां, सोई पंथ सँवारि॥
Jambhan Maran Bichari Kari, Kude Kaam Nibaari,
Jini Panthu Tujh Chalana Soi Panth Sanvaari.

जाँभण : जन्म.
मरण : मृत्यु.
बिचारि करि : विचार करो, मंथन करो.
कूडे काँम : अनैतिक कार्य, बुरे काम.
निबारी : छोड़ दो, त्याग दो.
जिनि पंथू : जिस मार्ग पर, जिस पंथ पर.
तुझ : तुझे, तुमको.
चालणां : चलना है, अनुसरण करना है.
सोई पंथ : उसी मार्ग को, उसी पंथ को.
सँवारि : प्रशस्त करो, साफ़ करो.

कबीर साहेब की वाणी है की तुम जन्म और मरण पर विचार करो, तुमने यदि जन्म लिया है तो तुमको एक रोज मृत्यु को भी प्राप्त होना पड़ेगा. सभी को एक रोज यह संसार छोड़ कर जाना ही होगा, अतः तुम इस पर विचार करो और बुरे कर्मों का त्याग करो. जिस मार्ग पर तुमको चलना है उसका ध्यान करके उसे ही प्रशस्त करो, मार्ग को साफ़ करो. भक्ति मार्ग को साफ़ करो, बुहारो. आशय है की मायाजनित व्यवधानों को दूर करो जिससे भक्ति पथ सुगम हो पाए.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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