कबीर कहा गरबियो काल गहै कर केस मीनिंग Kabir Kaha Garabiyo Kaal Gahe Kes Meaning Kabir Ke Dohe

कबीर कहा गरबियो काल गहै कर केस मीनिंग Kabir Kaha Garabiyo Kaal Gahe Kes Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Meaning/Bhavarth)

कबीर कहा गरबियो, काल गहै कर केस।
नां जाँणों कहाँ मारिसी, कै घरि कै परदेस॥
Kabir Kaha Garbiyo, Kaal Gahe Kar Kes,
Na Jaano Kaha Maarisi, Ke Ghari Ke Pardes.

कहा गरबियो : कहाँ व्यर्थ में गर्व करते हो.
काल : काल, यम.
गहै : पकड़ता है.
कर केस : हाथों से बाल पकड़ कर.
नां जाँणों :
नहीं जानते हैं, पता नहीं है (काल क्या करेगा)
कहाँ मारिसी : कहाँ पर ले जाकर मारेगा.
कै घरि : क्या घर पर.
कै परदेस : क्या परदेस में.

काल अत्यंत ही शक्तिशाली है. उसने जीवों को बाल पकड़ कर अपने नियंत्रण में ले रखा है. पता नहीं वह हमें कहाँ पर मारेगा, घर पर या परदेस में. भाव है की मानव जीवन को एक रोज समाप्त हो जाना है. इसलिए व्यर्थ में मायाजनित कार्यों में संलग्न होकर समय को व्यर्थ में व्यतीत नहीं करना चाहिए और हरी के नाम का नित्य ही सुमिरण करना चाहिए जो की मानव जीवन का उद्देश्य है. माया संग्रह करना, स्वंय पर अभिमान करना, इस जगत को स्थाई रूप से अपना घर मान लेना माया के ही छद्म आवरण हैं जिन्हें पहचान कर समझने की आवश्यकता है. शरीर का अभिमान हो या माया का अंत समय में किसी काम में नहीं आने वाला है. इसलिए मानवीय गुणों को धारण करके हरी के नाम का सुमिरण करना चाहिए. हमें तो यह भी ज्ञात नहीं होता है की कब क्या हो जाए, काल हमें घर पर मारेगा या घर से बाहर, किस का कितना जीवन है किसे पता है. करोड़ों जीवों की देह के उपरान्त श्रेष्ठ मानव जीवन प्राप्त किया है जिससे हम इश्वर के नाम का सुमिरण कर पाएँ. 
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