श्री रघुवीर भक्त हितकारी श्री राम चालीसा Shri Raghuveer Bhakt Hitkaari Lyrics, Shri Raam Chalisa by Anup Jalota
श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥
तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥
गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा। पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो॥
नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई। युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्घि चरणन में लोटत॥
सिद्घि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥
सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्घ देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥
और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्घता पावै॥
अन्त समय रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा॥
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥
तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥
गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा। पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो॥
नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई। युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्घि चरणन में लोटत॥
सिद्घि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥
सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्घ देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥
और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्घता पावै॥
अन्त समय रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा॥
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥
Ram Chalisa राम चालीसा by Anup Jalota | Shri Ram Song | Bhakti Song | Ram Chalisa Full
Jai Jai Shree Ram
श्री रघुवीर भक्त हितकारी
Shree Raghuvir Bhakt Hitkari
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
Sun Lijai Prabhu Araj Hamari
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई
Nishidin Dhyan Dhare Jo Koi
ता सम भक्त और नहिं होई
Ta Sam Bhakt Aur Nahi Hoi
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं
Dhyan Dhare Shivaji Mann Maahi
ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं
Brahma Indra Paar Nahi Paahi
जय जय रघुनाथ कृपाला
Jai Jai Raghunath Krupala
सदा करो संतन प्रतिपाला
Sada Karo Santan Pratipala
दूत तुम्हार वीर हनुमाना
Doot Tumhar Veer Hanumana
जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना
Jasu Prabhav Tihu Pur Jaana
तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला
Tab Bhuj Dand Prachand Krupala
रावण मारि सुरन प्रतिपाला
Ravan Maari Suran Pratipala
तुम अनाथ के नाथ गोसाई
Tum Anath Ke Naath Gosaai
दीनन के हो सदा सहाई
Dinana Ke Ho Sada Sahai
ब्रह्मादिक तव पार पावैं
Brmhadik Tav Paar Paave
सदा ईश तुम्हरो यश गावैं
Sada Ish Tumhare Yash Gaave
चारिउ वेद भरत हैं साखी
Chaariu Ved Bharat Hai Saakhi
तुम भक्तन की लज्जा राखीं
Tum Bhaktan Ki Lajja Raakhi
गुण गावत शारद मन माहीं
Gun Gavat Sharad Mann Mahi
सुरपति ताको पार न पाहीं
Surpati Tako Paar Na Paahi
नाम तुम्हार लेत जो कोई
Naam Tumhaar Let Jo Koi
ता सम धन्य और नहिं होई
Ta Sam Dhanya Aur Nahi Hoi
राम नाम है अपरम्पारा
Ram Naam Hai Aprampara
चारिहु वेदन जाहि पुकारा
Chaarihu Vedan Jaahi Pukara
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो
Ganpati Naam Tumharo Linho
तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो
Tinko Pratham Pujya Tum Kinho
शेष रटत नित नाम तुम्हारा
Shesh Ratat Neet Naam Tumhara
महि को भार शीश पर धारा
Mahi Ko Bhar Shish Par Dhara
फूल समान रहत सो भारा
Phool Saman Rahat So Bhara
पाव न कोऊ तुम्हरो पारा
Paav Na Kou Tumharo Para
भरत नाम तुम्हरो उर धारो
Bharat Naam Tumharo Ur Dharo
तासों कबहुं न रण में हारो
Taso Kabhu Na Rann Mein Haro
नाम शत्रुहन हृदय प्रकाशा
Naam Shatruhan Hriday Prakasha
सुमिरत होत शत्रु कर नाशा
Sumirat Hot Shatru Kar Nasha
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी
Lakhan Tumhare Aagyakari
सदा करत सन्तन रखवारी
Sada Karat Santan Rakhwari
Taate Rann Jeete Nahi Koi
Yudh Jure Yamhu Kin Hoi
Mahalakshmi Dhar Avatara
Sab Vidhi Karat Paap Ko Chara
Sita Naam Punita Gayo
Bhuvneshwari Prabhav Dikhayo
Ghat So Prakat Bhai So Aai
Jako Dekhat Chandra Lajjai
So Tumre Neet Paanv Palotat
Navo Nidhi Charnan Mein Lotat
Siddhi Atharah Mangalkari
So Tum Par Jaave Balihari
Aurahu Jo Anek Prabhutai
So Sitapati Tumhahi Banai
Iccha Te Kotin Sansara
Rachat Na Laagat Pal Ki Bara
Jo Tumharo Charanan Chit Laave
Taki Mukti Avasi Ho Jaave
Jai Jai Jai Prabhu Jyoti Swarupa
Nirgun Bramha Akhanda Anupa
Satya Satya Satyavrat Swami
Satya Sanatan Antaryami
Satya Bhajan Tumhare Jo Gaave
So Nishchay Chaaro Phal Paave
Satya Shapath Gauripati Kinhi
Tumne Bhaktihi Sab Siddhi Dinhi
Sunhu Raam Tum Taat Hamare
Tumhahi Bharat Kul Pujya Prachare
Tumhahi Dev Kul Dev Hamare
Tum Guru Dev Praan Ke Pyare
Jo Kuch Ho So Tum Hi Raja
Jai Jai Jai Prabhu Rakho Laaja
Ram Atma Poshan Haare
Jai Jai Dashrath Dulaare
Gyan Hriday Do Gyan Swarupa
Namo Namo Jai Jagpati Bhupa
Dhanya Dhanya Tum Dhanya Pratapa
Naam Tumhaar Harat Santapa
Satya Shuddh Devan Mukh Gaya
Baji Dundubhi Shankh Bajaya
Satya Satya Tum Satya Sanatan
Tum Hi Ho Hamare Tan Mann Dhan
Yako Paath Kare Jo Koi
Gyan Prakat Take Ur Hoi
Aavagaman Mite Tihi Kera
Satya Vachan Mane Shiv Mera
Aur Aas Mann Mein Jo Hoi
Manvanchit Phal Paave Soi
Tinhu Kaal Dhyan Jo Lyave
Tulsi Dal Aru Phool Chadhave
Saag Patra So Bhog Lagave
So Nar Sakal Siddhata Paave
Ant Samay Raghubarpur Jaai
Jahan Janma Hari Bhakt Kahai
Shri Haridas Kahe Aru Gaave
So Baikunth Dham Ko Jaave
Saat Divas Jo Nem Kar
Paath Kare Chit Laaye
Haridas Hari Krupa Se
Avasi Bhakti Ko Paaye
Ram Chalisa Jo Padhe
Ram Charn Chit Laaye
Jo Ichha Mann Mein Kare
Sakal Siddha Ho Jaaye