सतगुरु ने दिया आनंद भजन कर जीवन में

सतगुरु ने दिया आनंद भजन कर जीवन में

पहले दाता शिष्य हुआ,
जिन तन, मन, धन अर्पण शीश,
पीछे दाता सतगुरु हुए,
जिन नाम दिया बक्शिश।।

सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में,
जीवन में, जीवन में,
कर जीवन में,
सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में।।

गर्भवास में कॉल किया था,
बाहर उसको भुला दिया था,
अब कर संतों का संग,
भजन कर जीवन में,
सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में।।

कैसा सुंदर तन यह मिला है,
मन बगिया का फूल खिला है,
रोको चंचल मन की तरंग,
भजन कर जीवन में,
सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में।।

तन में तेरे राम रमा है,
वो ही राम और श्याम खुदा है,
मिला खुद में खुदा का आनंद,
भजन कर जीवन में,
सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में।।

पल-पल सुमिरन करते रहोगे,
नाम डोर से बंधे रहोगे,
तेरे कट जाए भव के पंथ,
भजन कर जीवन में,
सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में।।

सेवा, सत्संग कभी ना भुलाना,
हंस नाम का मिला खजाना,
श्री सतगुरु सच्चिदानंद,
भजन कर जीवन में,
सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में।।

सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में,
जीवन में, जीवन में,
कर जीवन में,
सतगुरु ने दिया आनंद,
भजन कर जीवन में।।


भजन : सतगुरु ने दिया आनंद भजन कर जीवन में । Hansvani

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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