ऐसे युगल बसौं दृग मेरे भजन
ऐसे युगल बसौं दृग मेरे भजन
ऐसे युगल बसौं दृग मेरे,इक रस मगन रहौं या छवि में, गिनौं न साँझ सवेरे,
सुंदर सुखद मनोहर जोरी, हिय में करहु बसेरे,
मंद-मंद मुसिकान महा छबि, दै दै बाँह गरे रे,
ता छबि माँहि कैसे दोऊ अखियाँ, टारी नाहिं टरैं रे,
भोरी नैन दरस रस प्यासे, करहु आपने चेरे,
ऐसे युगल बसों दृग मेरे,
इक रस मगन रहो या छवि में, गिनों ना साँझ सवेरे,
सुंदर सुखद मनोहर जोरी, हिय में करहुँ बसेरे,
मंद मंद मुसिकान महा छवि, दै दै बाँह गरे रे,
ता छबि माँहि कैसे दोऊ अखियाँ, टारी नाहिं टरैं रे,
भोरी नैन दरस रस प्यासे, करहु आपने चेरे,
भोरी सखी पद | ऐसे युगल बसों दृग मेरे | Shree Hita Ambrish Ji
Ik Ras Magan Rahaun Ya Chhavi Mein, Ginaun Na Saanjh Savere,
Sundar Sukhad Manohar Jori, Hiy Mein Karahu Basere,
Mand-mand Musikaan Maha Chhabi, Dai Dai Baanh Gare Re,
Ta Chhabi Maanhi Kaise Duo Akhiyaan, Taari Naahin Tarain Re,
Bhori Nain Daras Ras Pyaase, Karahu Aapane Chere,