लहर उठे लो अमर तिरंगा यही हमारी शान
लहर उठे लो अमर तिरंगा यही हमारी शान
लहर उठे, लो, अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
इनकी रक्षा खातिर अनगिन, वीर हुए कुर्बान।
सीने पर गोली खाकर ही, हुए सभी आज़ाद।
बही रक्त की छलछल नदियाँ, तभी हुए आबाद।
खुशियाँ सबके घर-घर महकी, महका हिन्दोस्तान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
घोर यातना के सागर से, पार हुए हम आज।
भागे जब रण छोड़ फिरंगी, आया अपना राज।
आज़ादी की चिड़ीया देखो, छेड़े नव-नव तान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
भगत सिंह, अशफ़ाक की धरती, निशदिन करे पुकार।
जाति-धर्म के बंद करो रे, यह कलुषित व्यापार।
भारत माँ के प्यारे सब हैं, उनकी सब संतान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
कल-कल करती गंगा जहाँ पर, देते निर्मल नीर।
जहाँ कृषकगण श्रम से अपने, खुद सीचें तक़दीर।
हरे-भरे ऊँचे तरुवर की, है अपनी पहचान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
होत प्रात: मन्दिर में बजते, भगवत के मधुर गान।
मस्जिद से भी छनकर आते, मधुरिम पुण्य अजान।
सभी धर्म बतलाते हमको, सब हैं एक समान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
महापर्व गणतंत्र हमारा, भरे सदा मुस्कान।
देश-देश नित शीश झुकाए, करे सदा गुणगान।
युग-युग महके अमर रहे ये, भारतवर्ष महान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
इनकी रक्षा खातिर अनगिन, वीर हुए कुर्बान।
इनकी रक्षा खातिर अनगिन, वीर हुए कुर्बान।
सीने पर गोली खाकर ही, हुए सभी आज़ाद।
बही रक्त की छलछल नदियाँ, तभी हुए आबाद।
खुशियाँ सबके घर-घर महकी, महका हिन्दोस्तान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
घोर यातना के सागर से, पार हुए हम आज।
भागे जब रण छोड़ फिरंगी, आया अपना राज।
आज़ादी की चिड़ीया देखो, छेड़े नव-नव तान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
भगत सिंह, अशफ़ाक की धरती, निशदिन करे पुकार।
जाति-धर्म के बंद करो रे, यह कलुषित व्यापार।
भारत माँ के प्यारे सब हैं, उनकी सब संतान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
कल-कल करती गंगा जहाँ पर, देते निर्मल नीर।
जहाँ कृषकगण श्रम से अपने, खुद सीचें तक़दीर।
हरे-भरे ऊँचे तरुवर की, है अपनी पहचान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
होत प्रात: मन्दिर में बजते, भगवत के मधुर गान।
मस्जिद से भी छनकर आते, मधुरिम पुण्य अजान।
सभी धर्म बतलाते हमको, सब हैं एक समान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
महापर्व गणतंत्र हमारा, भरे सदा मुस्कान।
देश-देश नित शीश झुकाए, करे सदा गुणगान।
युग-युग महके अमर रहे ये, भारतवर्ष महान।
लहर उठे लो अमर तिरंगा, यही हमारी शान।
इनकी रक्षा खातिर अनगिन, वीर हुए कुर्बान।
लहर लहर लहराएँ तिरंगा प्यारा Deshbhakti geet rashtriya geet देशभक्ति गीत| 15 august ahar lahar
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लहराता हुआ अमर तिरंगा हमारी आन-बान और शान का प्रतीक है, जिसकी रक्षा के लिए अनगिन वीरों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। आज़ादी की लड़ाई में असंख्य सपूतों ने सीने पर गोलियाँ खाकर बलिदान दिया, तब जाकर यह पावन भूमि स्वतंत्र और समृद्ध हुई। बहता रक्त, बलिदानी संघर्ष और त्याग की कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि हर घर-आँगन की खुशहाली इन्हीं वीर शहीदों के कारण है। गुलामी की घोर यातनाओं के सागर को पार करने के बाद जब फिरंगी भागे, तब भारत में स्वतंत्रता की चिड़िया ने अपने सुर छेड़े और तिरंगा शान से लहराया। भगत सिंह और अशफ़ाक जैसे अमर बलिदानियों की धरती हमें सदैव यह संदेश देती है कि जाति-धर्म के झगड़े भुलाकर हमें भारत माँ की संतान बनकर जीना चाहिए। यही भूमि गंगा के निर्मल जल, कृषकों की मेहनत और हरे-भरे वृक्षों की पहचान से महकती है, जहाँ मंदिरों के मधुर गान और मस्जिदों की अजान मिलकर यह बताते हैं कि सभी धर्म एक समान हैं। गणतंत्र का महापर्व हमारे दिलों में सदैव उल्लास भरता है, जब समूचा विश्व इस महान भारतभूमि को नमन करता है। यह तिरंगा ही है जो हमें सदियों तक एकता, बलिदान और गौरव की याद दिलाते हुए अमर बना रहेगा, और इसकी रक्षा हेतु हर भारतीय अपना जीवन न्योछावर करने के लिए तत्पर रहेगा।
हर दिल में देशभक्ति की भावना जगाने वाला यह गीत समर्पित है हमारे वीर शहीदों को, जिनकी कुर्बानी से आज हम आज़ाद हैं।
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Author - Saroj Jangir
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