दुख से मत घबराना पंछी भजन

दुख से मत घबराना पंछी


दुख से मत घबराना पंछी,
ये जग दुःख का मेला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।
(दुख से मत घबराना पंछि,
ये ज़ग दुख का मेला है,
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।)

नन्हे कोमल पंख ये तेरे,
और गगन की ये दूरी,
बैठ गया तो होगी कैसे,
मन की अभिलाषा पूरी,
उसका नाम अमर है जग में,
जिसने संकट झैला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।
(दुख से मत घबराना पंछि,
ये ज़ग दुख का मेला है,
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।)

चतुर शिकारी ने रखा है,
जाल बिछा के पग पग पर,
फँस मत जाना भूल से पगले,
पछताएगा जीवन भर,
लोभ में दाने के मत पड़ना,
बड़े समझ का खेला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।
(दुख से मत घबराना पंछि,
ये ज़ग दुख का मेला है,
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।)

जब तक सूरज आसमान पर,
चढ़ता चल तू चलता चल,
घिर जाएगा अंधकार जब,
बड़ा कठिन होगा पल पल,
किसे पता की उड़ जाने की,
आ जाती कब बेला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।
(दुख से मत घबराना पंछि,
ये ज़ग दुख का मेला है,
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।)

दुख से मत घबराना पंछी,
ये जग दुःख का मेला है,
चाहे भीड़ बड़ी अम्बर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।
(दुख से मत घबराना पंछि,
ये ज़ग दुख का मेला है,
चाहे भीड़ बहुत अंबर पर,
उड़ना तुझे अकेला है।)
 

बहुत ही आनंदमयी भजन // दुःख मै मत घबराना पंछी // Dukh Me Mat Ghabrana Panchi

Dukh Se Mat Ghabaraana Panchhi,
Ye Jag Duhkh Ka Mela Hai,
Chaahe Bhid Badi Ambar Par,
Udana Tujhe Akela Hai.
(Dukh Se Mat Ghabaraana Panchhi,
Ye Zag Dukh Ka Mela Hai,
Chaahe Bhid Bahut Ambar Par,
Udana Tujhe Akela Hai.)

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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