जाँणी जे हरि को भजौ मीनिंग कबीर के दोहे

जाँणी जे हरि को भजौ मीनिंग Jaani Je Hari Ko Bhajo Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Bhavarth/Hindi Meaning)
जाँणी जे हरि को भजौ, मो मनि मोटी आस।
हरि बिचि घालै अंतरा, माया बड़ी बिसास॥
Jaani Je Hari Ko Bhajo, Mo Mani Moti Aas,
Hari Bichi Ghale Antara, Maya Badi Bisaa.

जाँणी जे : जान लो, मान लो.
हरि को भजौ : हरी के नाम का सुमिरण करना.
मो मनि : मेरे मन में.
मो : मेरे.
मनि : मन में, हृदय में.
मोटी आस : विषय वासनाओं की तृष्णा जनित आशाए, बड़ी आशाएं.
हरि बिचि हरी के मध्य (हरी और जीव के मध्य)
घालै अंतरा : जो अन्तर पैदा करता है.
घाले : डाले, पैदा करना.
माया : मोह माया, विषय विकार.
बड़ी बिसास : बड़ी विश्वास तोड़ने वाली, विशवास घातिनी है.

कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा हरी का भजन करना चाहती है, उसके मन में इश्वर भक्ति की एक बड़ी और प्रबल आशा है. जीवात्मा और हरी के मध्य एक बड़ी बाधा माया पैदा कर देती है. आत्मा और परमात्मा के मध्य में अविश्वास और दूरी माया ही पैदा करती है, इसलिए वह विशवासघातिनी है. स्पष्ट है की कबीर साहेब का सन्देश है की जीवात्मा को भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए माया से विमुख होना चाहिए.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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