तोको पीव मिलैंगे घूँघट के पट खोल रे मीनिंग Toko Peev Milenge Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth / Bhavarth Sahit
तोको पीव मिलैंगे घूँघट के पट खोल रे।
घट घट में वही साँई रमता, कटुक बचन मत बोल रे।
धन जोबन को गरब न कीजै, झूठा पँचरंग चोल रे।
सुन्न महल में दियना बार ले, आसा सों मत डोल रे।
जोग जुगत से रंग-महल में, पिय पाई अनमोल रे।
कहैं कबीर आनंद भयो है, बाजत अनहद ढोल रे॥
कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की हे जीवात्मा अपने घूंघट के पट खोल दो, तुमको प्रियतम मिलेंगे। हृदय के पट/द्वार को खोल दो तुमको प्रियतम मिलेंगे। हृदय में ही ईश्वर के दर्शन होंगे। हर एक शरीर में / हृदय में मालिक, हृदय का वास है, घट में ही परमात्मा रहते हैं। किसी को भी कड़वा क्यों बोलना, सभी से मृदु भाषा से बोलो। धन दौलत और जवानी पर अभिमान मत करो.एक रोज यह पंच तत्व/पांच तत्व का चोला (मानव देह ) छूट जानी है। तुम अपने योग रूपी यत्न से रंगमहल में अनमोल प्रियतम से प्रेम करो, तब वह तुमको प्राप्त होगा। कबीर साहेब कहते हैं की घट में अनहद का साज बज रहा है और चारो और आनंद ही आनंद है। आशय है की हृदय में ही ईश्वर का वास है। कबीर इस दोहे में आत्मा की प्राप्ति के लिए आवश्यक उपायों का वर्णन करते हैं। कबीर कहते हैं कि आत्मा ही मनुष्य का सच्चा प्रीतम है। आत्मा को पाने के लिए मनुष्य को अपने घूँघट के पट खोलने की जरूरत है, यानी अपने मन को शुद्ध करना और ईश्वर के प्रति समर्पित होना।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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