म्हाने ऐसा सतगुरु भावे भजन

म्हाने ऐसा सतगुरु भावे भजन

आठों पहर रहे मतवाला,
भर भर प्याला पावे,
म्हाने ऐसा सतगुरु भावे,
आठों पहर रहे मतवाला,
म्हाने ऐसा ही सतगुरु भावै।

नरक जावण रां नाकां मुन्दे,
उलज्या नै सुळझावे,
जगत पुनित तारण तिरणे को,
भाग हवारा आवे,
म्हाने ऐसा सतगुरु भावै।

मन को मार करे भल भेंटा,
दिल का दाग मिटावे,
पाँच पच्चीस परे ले पटके,
अन्दर ध्यान लगावे,
म्हाने ऐसा सतगुरु भावै।

हरि बिना हृदय और ना राखे,
गुण गोविन्द रा गावे,
जड़ी सजीवण है उर अन्दर,
मृतक जीव जिवावे,
म्हाने ऐसा सतगुरु भावै।

परम पुरुष के अरस परस है,
परदा खोल मिलावे,
गुरु दादू सा चरण कमल पर,
रज्जब बली बली जावै,
म्हाने ऐसा सतगुरु भावै।

म्हाने ऐसा सतगुरु भावे,
आठों पहर रहे मतवाला,
भर भर प्याला पावे,
म्हाने ऐसा सतगुरु भावे,
आठों पहर रहे मतवाला,
म्हाने ऐसा ही सतगुरु भावै।

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