मंगल भवन अमंगल हारी लिरिक्स Mangal Bhawan Amangal Hari Bhajan Lyrics
बिनु सत्संग विवेक न होई,
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई,
पारस परस कुघात सुहाई।
राम सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम
सिया राम सिया राम सिया राम,
राम सिया राम सिया राम।
मंगल भवन अमंगल हारी,
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी,
राम की महिमा सबसे प्यारी,
राम ही सुनते विनती हमारी,
राम चंद्र का ध्यान लगाओ,
राम क दर्शन मन में पाओ,
राम चंद्र का ध्यान लगाओ,
राम क दर्शन मन में पाओ।
जा पर कृपा राम की होई,
ता पर कृपा करें सब कोई,
जिनके कपट,दम्भ नहिं माया,
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया।
जा पर कृपा राम की होई,
ता पर कृपा करें सब कोई,
जिनके कपट,दम्भ नहिं माया,
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया,
रघुपति जी की आरती गाओ,
उनके शरण में तुम रम जाओ।
हरि अनंत हरी कथा अनंता,
कहहि सुनहि बहु बिधि सब संता,
रामचंद्र के चरित सुहाए,
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए।
होइहि सोइ जो राम रचि राखा,
को करि तर्क बढ़ावै साखा,
अस कहि लगे जपन हरिनामा,
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा,
भक्ति हीन गुण सब सुख कैसे,
लवण बिना बहु व्यंजन जैसे,
भक्ति हीन सुख कवने काजा,
अस बिचारि बोलेऊं खगराजा।
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन,
हरण भवभय दारुणं,
नव कंज लोचन कंज मुख,
कर कंज पद कंजारुणं,
कन्दर्प अगणित अमित छवि,
नव नील नीरद सुन्दरं,
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि,
नोमि जनक सुतावरं।
राम सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम
सिया राम सिया राम सिया राम,
राम सिया राम सिया राम।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई,
पारस परस कुघात सुहाई।
राम सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम
सिया राम सिया राम सिया राम,
राम सिया राम सिया राम।
मंगल भवन अमंगल हारी,
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी,
राम की महिमा सबसे प्यारी,
राम ही सुनते विनती हमारी,
राम चंद्र का ध्यान लगाओ,
राम क दर्शन मन में पाओ,
राम चंद्र का ध्यान लगाओ,
राम क दर्शन मन में पाओ।
जा पर कृपा राम की होई,
ता पर कृपा करें सब कोई,
जिनके कपट,दम्भ नहिं माया,
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया।
जा पर कृपा राम की होई,
ता पर कृपा करें सब कोई,
जिनके कपट,दम्भ नहिं माया,
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया,
रघुपति जी की आरती गाओ,
उनके शरण में तुम रम जाओ।
हरि अनंत हरी कथा अनंता,
कहहि सुनहि बहु बिधि सब संता,
रामचंद्र के चरित सुहाए,
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए।
होइहि सोइ जो राम रचि राखा,
को करि तर्क बढ़ावै साखा,
अस कहि लगे जपन हरिनामा,
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा,
भक्ति हीन गुण सब सुख कैसे,
लवण बिना बहु व्यंजन जैसे,
भक्ति हीन सुख कवने काजा,
अस बिचारि बोलेऊं खगराजा।
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन,
हरण भवभय दारुणं,
नव कंज लोचन कंज मुख,
कर कंज पद कंजारुणं,
कन्दर्प अगणित अमित छवि,
नव नील नीरद सुन्दरं,
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि,
नोमि जनक सुतावरं।
राम सिया राम सिया राम,
सिया राम सिया राम
सिया राम सिया राम सिया राम,
राम सिया राम सिया राम।
Mangal Bhavan Amangal Hari | मंगल भवन अमंगल हारी | RAM SIYA RAM | Ramayan Chaupai Bhajan
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