मधुर सुर बोल रे कागा मीरा रो मन राम से

मधुर सुर बोल रे कागा मीरा रो मन राम से

मधुर सुर बोल रे कागा,
मीरा रो मन राम से लागा,
गुरु मिठो बोल रे कागा,
बाई रो मन राम से लागा।।

मुकुट सोवे मोर की पंखड़ी,
गले में सोवे सांप री रखड़ी,
मधुर सुर बोल रे कागा,
बाई रो मन राम से लागा।।

सांवऱिया थे बाग में जाती,
फूलां री भरी साबड़ी लाती,
मधुर सुर बोल रे कागा,
बाई रो मन राम से लागा।।

सांवऱिया थारो पंथड़ो भारी,
कटारी म्हारे कालजे लागी,
मधुर सुर बोल रे कागा,
बाई रो मन राम से लागा।।

बाई रो जस सूरदास गावे,
चरण कमल लिपटावे,
गुरु मिठो बोल रे कागा,
मीरा रो मन राम से लागा।।

मधुर सुर बोल रे कागा,
बाई रो मन राम से लागा,
गुरु मिठो बोल रे कागा,
मीरा रो मन राम से लागा।।


Madhur sur bol re kaga मधुर सुर बोल रे कागा न्यू देसी भजन सिंगर मोकमसिंह हड़वा शिव 
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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