प्रीत नंद नंदन सो कीजे भजन

प्रीत नंद नंदन सो कीजे भजन

प्रीत नंद नंदन सो कीजे।
संपत्ति विपत्ति परे प्रतिपाले कृपा करे सो जीजे॥
परम उदार चतुर चिंतामणि सेवा सुमरन माने।
हस्त कमल की छाया राखत अंतर घट की जाने॥
वेद पुरान श्रीभागवत भाखत कियो भक्तन मन भायो।
परमानंद इंद्र सो वैभव विप्र सुदामा पायो॥ 

हमें नंदनंदन (श्रीकृष्ण) से प्रेम करना चाहिए, क्योंकि वे संपत्ति और विपत्ति दोनों में हमारी रक्षा करते हैं और कृपा करते हैं। वे परम उदार, चतुर, और चिंतामणि के समान हैं, जिनकी सेवा और स्मरण करना चाहिए। उनके हस्त कमल की छाया हमें सुरक्षित रखती है, और वे हमारे अंतर की बातों को जानते हैं। वेद, पुराण, और श्रीभागवत में उनकी महिमा का वर्णन है, जो भक्तों के मन को भाती है। परमानंद कहते हैं कि इंद्र के वैभव से भी बढ़कर संपत्ति ब्राह्मण सुदामा को श्रीकृष्ण की कृपा से प्राप्त हुई।
 
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