सावण आयो आवो नन्दलाल भजन

सावण आयो आवो नन्दलाल भजन

 
सावण आयो आवो नन्दलाल भजन

मन मोहन से प्रीत लगी,
और सुध बुध दीन्हि खोय,
हेत ना छोड़ूँ सांवरा,
होनी है सो होय।
पांचलीया री रेख ज्यूँ,
थाने पतिया लिखूं सजाय,
आणू वे तो आजा मोहना,
ओ सावण बीत्यो जाय।
मोहना, ओ सावण बीत्यो जाय।


जिवड़ो तरसे नैना बरसे,
हाल हुआ बेहाल,
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।

संग री सहेल्या म्हारीं,
झूले बगियन में,
झूले बगियन में,
दे दे मधुरी ताल,
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।

रिमझिम रिमझिम ,
मेहुडो बरसै,
मेहुडो बरसै,
लग रही मोह उरसाल ,
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।

काळी काळी  रैण ,
बिजुरियां चमके,
बिजुरियां चमके,
उठे बदन में झाळ,
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।

दादुर मोर पपीहा बोले,
दादुर मोर पपीहा बोले,
कोयल करे करपा,
कोयल करे करपा,
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।

प्रेम रंग में,
हुई रे दीवानी,
सुन ले श्री गोपाल,
कन्हैया, सुण ले श्री गोपाल,
कर जोड़त,
यूँ रामनिवास कहे,
ए मेरे दीन दयाल,
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।

जिवड़ो तरसे नैना बरसे,
हाल हुआ बेहाल,
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।
सावण आयो,
आवो नन्दलाल।
श्रेणी : कृष्ण भजन 



Anil Nagori सावन आयो आवो नंदलाल अनिल नागौरी सावन स्पेस्ल

SINGER ANIL NAGORI 
music Nmg studio Nokha 
rachna Ramniwas ji raw

यह भजन श्रीकृष्ण के प्रति भक्त की गहरी प्रीत और विरह की तड़प को व्यक्त करता है, जो सावन की बरसात के साथ और गहरा हो जाता है। मन मोहन से प्रेम लगने के बाद भक्त की सारी सुध-बुध खो गई है, और वह कहता है कि चाहे जो हो जाए, यह प्रेम कभी नहीं छूटेगा। जैसे कोई पंचलिया की रेख पर पत्र लिखकर प्रिय को पुकारे, वैसे ही भक्त सांवरिया को सावन में बुला रहा है, क्योंकि समय बीत रहा है और मन की तड़प बढ़ रही है। सावन का मौसम, जिसमें रिमझिम बारिश, बिजली की चमक, और दादुर-पपीहे की आवाजें गूंजती हैं, भक्त के मन में नंदलाल के लिए उमंग और बेचैनी को और बढ़ा देता है। सहेलियां बगीचे में झूला झूल रही हैं, कोयल कूक रही है, पर भक्त का जिया तरस रहा है और आंखें बरस रही हैं। वह नंदलाल से मधुर ताल में आने की विनती करता है, क्योंकि बिना उनके दर्शन के उसका हाल बेहाल है। रामनिवास प्रेम रंग में दीवाना होकर श्री गोपाल को पुकारता है, दीनदयाल से दर्शन की भीख मांगता है। जीवन का सच यही है कि सच्ची भक्ति और प्रेम में डूबकर पुकारने से श्रीकृष्ण जरूर सुन लेते हैं, और सावन का सूना मौसम उनके दर्शन से रंगीन हो जाता है, जैसे बरसात के बाद धरती लहलहा उठे। 

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