सुबह सुबह जब भी मेरी आँखें खुलती है

सुबह सुबह जब भी मेरी आँखें खुलती है भजन

सुबह सुबह जब भी मेरी आँखें खुलती है,
आँखों के सामने बस आरती घूमती है,
मेरे इत्र की खुशबू से ये दुनियाँ महकती है,
सुबह सुबह जब भी मेरी आँखें खुलती है,
आँखों के सामने बस आरती घूमती है।

श्रृंगार सुंदर सजा हुआ होता है,
प्रेमियों से मंदिर भरा हुआ होता है,
प्रेमी के दिल की बात कानों में गूँजती है,
सुबह सुबह जब भी मेरी आँखें खुलती है,
आँखों के सामने बस आरती घूमती है।

एक एक प्रेमी का काम बनेगा,
थोड़ा धीर रखना सबका जीवन सजेगा,
जो खाटू आते हैं, उन्हें दुनियाँ ढूंढ़ती है,
सुबह सुबह जब भी मेरी आँखें खुलती है,
आँखों के सामने बस आरती घूमती है।

घमंड ना भाता पाखंड ना भाता,
कोई भी कन्हैया बाकी खाली नहीं जाता,
हारे का सहारा हूँ, ये दुनियाँ जानती है,
सुबह सुबह जब भी मेरी आँखें खुलती है,
आँखों के सामने बस आरती घूमती है।
श्रेणी : कृष्ण भजन 

Subah Subah Jab Bhi Meri Aankhe Khulti Hai Bhajan - Kanhiya Mittal New Bhajan 2018 | प्रशाद Bhajan

Subah Subah Jab Bhi Meri Aankhen Khulati Hai,
Aankhon Ke Saamane Bas Aarati Ghumati Hai,
Mere Itr Ki Khushabu Se Ye Duniyaan Mahakati Hai,
Subah Subah Jab Bhi Meri Aankhen Khulati Hai,
Aankhon Ke Saamane Bas Aarati Ghumati Hai. 
 
Next Post Previous Post