प्यारो घणो लागे जी नारायण थांको मालासेरी दरबार
प्यारो घणो लागे जी नारायण थांको मालासेरी दरबार
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
मंदिरिया के आजू-बाजू,
सरोवर भरिया हजार,
ऊंची-ऊंची लहरें चालें,
ठंडी चालें फुवार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
भांत-भांत का रुक भरकड़ा,
पायो नहीं कोई पार,
कोयल, मोर, पपीहा बोले,
बोले राग मलार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
भोजा जी घोड़ी पर बैठा,
बगड़ावत सरदार,
मंदिर माही बैठी साडू माता,
महिमा अपरंपार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
लंबो-चौड़ो मंदिर थांको,
चौड़ा है चौबार,
एक साल में दो-दो मेला,
आवे लाखों नर-नार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
राती जगा और जात जड़ूला,
आवे रोज अपार,
चम्पा लाल मालासेरी वालो,
थांका गावे मंगलाचार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
थांको मालासेरी दरबार।।
मंदिरिया के आजू-बाजू,
सरोवर भरिया हजार,
ऊंची-ऊंची लहरें चालें,
ठंडी चालें फुवार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
भांत-भांत का रुक भरकड़ा,
पायो नहीं कोई पार,
कोयल, मोर, पपीहा बोले,
बोले राग मलार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
भोजा जी घोड़ी पर बैठा,
बगड़ावत सरदार,
मंदिर माही बैठी साडू माता,
महिमा अपरंपार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
लंबो-चौड़ो मंदिर थांको,
चौड़ा है चौबार,
एक साल में दो-दो मेला,
आवे लाखों नर-नार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
राती जगा और जात जड़ूला,
आवे रोज अपार,
चम्पा लाल मालासेरी वालो,
थांका गावे मंगलाचार,
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
प्यारो घणो लागे जी नारायण,
थांको मालासेरी दरबार।।
चारभुजा नाथ का भजन!!प्यारो गणो लागे जी ठाकुर जी थाकोडो दरबार!! सिंगर चम्पालाल प्रजापत
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Author - Saroj Jangir
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