कामणि काली नागणीं तीन्यूँ लोक मँझारि मीनिंग कबीर के दोहे

कामणि काली नागणीं तीन्यूँ लोक मँझारि मीनिंग Kamani Kali Nagani Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Hindi Bhavarth

कामणि काली नागणीं, तीन्यूँ लोक मँझारि।
राग सनेही, ऊबरे, बिषई खाये झारि॥
 
Kamani Kali Nagani, Teenyu Lok Manjhaari,
Raam Sanehi Ubare, Bishai Khaye Jhari.
 
कामणि काली नागणीं तीन्यूँ लोक मँझारि मीनिंग Kamani Kali Nagani Meaning Kabir Dohe

कामणि काली नागणीं: नारी काली नागिन के समान है.
तीन्यूँ लोक मँझारि : जो तीनों लोकों में व्याप्त है, तीनों लोको मध्य है.
राग सनेही, ऊबरे : राम से स्नेह करने वाले उबर जाते हैं.
बिषई खाये झारि : विषय विकार में पड़े लोगों को इसने पूर्ण रूप से खा लिया है.
कामणि : नारी, कामिनी.
काली नागणीं : काली नागिन है.
तीन्यूँ लोक : तीनों लोक.
मँझारि : मध्य, के बीच.
राग सनेही : राम भक्त.
ऊबरे : प्रभाव से मुक्त होना.
बिषई खाये झारि विषय विकार जीवात्मा को नष्ट कर देती है.
कबीर साहेब की वाणी है की नारी काली नागिन के समान होती है. यह तीनों ही लोक में अपना प्रभाव रखती है. इसके विषैले प्रभाव से किसी का बच पाना संभव नहीं होता है. हरिजन जो इश्वर का सुमिरन करता है, वह अवश्य ही विषय विकार रूपी कामिनी माया के रूप में तीनों लोकों में फैली हुई है.
इससे राम भक्त ही मुक्त हो पाते हैं. जो विषय विकारों में पड़े रहते हैं वे अवश्य ही नष्ट होते हैं. उन्हें माया रूपी काली कामिनी समूल नष्ट कर देती है. वे विषय विकारों की अग्नि में दग्ध रहते हैं. 


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