गुरु कथन ने ऊ नही माने मनमानी रे करनी ने

गुरु कथन ने ऊ नही माने मनमानी रे करनी ने

गुरु कथन ने ऊ नहीं माने,
मनमानी रे करनी ने करतो,
उस मालिक ने दोष मत दीज्यो,
कर्मा रा फल ऊ भरतो।।

हे पानी भरती नार निरखतो,
ऊ कर्मा ने ऊ करतो,
ऊ कर्मा सूं बण्यो रे कागलो,
काँव काँव करतो फिरतो।।

हे साँझ पड़या या नार भटकती,
ये कर्मा ने वा करती,
ये कर्मा सूं बणी रे गंडकड़ी,
गलिया गलिया रोती फरती।।

हे पति के छाने खावे चुराकर,
ये कर्मा ने वा करती,
ये कर्मा सूं बणी रे बिलयाई,
घरा घरा रोती फरती।।

हे गरू ज्ञान ने ऊ नहीं जाने,
घणा रे नखरा ऊ करतो,
ये कर्मा सूं बण्यो रे बांदरो,
डाल डाल रोतो फरतो।।

हे राम भजन ने ऊ नहीं गावे,
सत्संग ने रे न सुणतो,
रामानंद केवे रे गुरु पूरा,
बार-बार जन्म लेतो।।

गुरु कथन ने ऊ नहीं माने,
मनमानी रे करनी ने करतो,
उस मालिक ने दोष मत दीज्यो,
कर्मा रा फल ऊ भरतो।।


सतगुरु भजन

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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