गोपीचंद धर लो नी भगवा वेश
गोपीचंद धर लो नी भगवा वेश
गोपीचंद धर लो नी भगवा वेश,
भरथरी मामा से मिलनों रे।।
हे गोपीचंद साल दुसाला ने छोड़,
गुरु सा री चादर ले लो रे।।
हे गोपीचंद सोना रो मुकुट परो छोड़,
गुरु जी की जटा बढ़ाओ रे।।
हे गोपीचंद काना रा कुण्डल परा खोल,
गुरु सा रा मंद्रा पहनो रे।।
हे गोपीचंद पगा री मोचड़िया परी खोल,
गुरु सा री पावड़िया पहनो रे।।
हे गोपीचंद सोना का हार परा खोल,
गुरु सा री माला धारण करो रे।।
हे गोपीचंद गुरु मिल्या रे गोरखनाथ,
गुरु सा री शरणा में रहनो रे।।
गोपीचंद धर लो नी भगवा वेश,
भरथरी मामा से मिलनों रे।।
भरथरी मामा से मिलनों रे।।
हे गोपीचंद साल दुसाला ने छोड़,
गुरु सा री चादर ले लो रे।।
हे गोपीचंद सोना रो मुकुट परो छोड़,
गुरु जी की जटा बढ़ाओ रे।।
हे गोपीचंद काना रा कुण्डल परा खोल,
गुरु सा रा मंद्रा पहनो रे।।
हे गोपीचंद पगा री मोचड़िया परी खोल,
गुरु सा री पावड़िया पहनो रे।।
हे गोपीचंद सोना का हार परा खोल,
गुरु सा री माला धारण करो रे।।
हे गोपीचंद गुरु मिल्या रे गोरखनाथ,
गुरु सा री शरणा में रहनो रे।।
गोपीचंद धर लो नी भगवा वेश,
भरथरी मामा से मिलनों रे।।
एक ही भजन पर सब लोग नाचने लग गए !! गोपीचंद धर लोंने भगवा वेश !! Gopal Das Vaishnav !! मांडल लाइव !!
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Author - Saroj Jangir
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