थारी राजस्थानी भाषा का शब्द है जिसके निम्न उदाहरण हैं, आइये इस शब्द को उदाहरण के माध्यम से समझते हैं।
थारी जय जो पवन कुमार,
मैं वारि जाऊँ बालाजी
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थारी नगरी में सांवरिया
भगतां फाग मचाओ जी,
होली खेल रहे बांके बिहारी,
आज रंग बरस रहा
और झूम रही दुनिया सारी,
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थारी कांई छ मनस्या कांई छ विचार
सुणियो जी म्हारा लखदातार
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ईसर जी तो पेचो बान्ध
गोरांबाई पेंच संवार ओ राज
म्हें ईसर थारी साली छां
साली छां मतवारी ओ राज
भंवर पटां पर वारी ओ राज
केसर की सी क्यारी ओ राज
लूंगा की सी बाड़ी ओ राज
म्हें ईसर थारी साली छां
ईसर जी तो मोती पैर
गोरांबाई गर्दन सवांर ओ राज
म्हें ईसर थारी साली छां
ईसर जी तो बींटी पैर
गोरांबाई आंगली सवांर ओ राज
म्हें ईसर थारी साली छां
साली छां मतवारी ओ राज
भंवर पटा पर वारी ओ राज
केसर की सी क्यारी ओ राज
लूंगां की सी बाड़ी ओ राज
माय बहन स प्यारी ओ राज
चावां लूंग सुपारी ओ राज
म्हें ईसर थारी साली छां
आप झरौखे बैठता, अळबलिया सिरदार,
हाज़र रहती गौरड़ी कर सोळा सिणगार,
हो जी सरकार, थारी सूरत प्यारी लागै म्हारा राज,
म्हारा साहेबा, ओ जी म्हारा राज।
पिया गया परदेश में, नैणा टपके नीर,
ओळ्यू आवे पीव की, जिवड़ो धरे ना धीर,
ओ जी उमराव थारे, लेरा लागी आऊं, म्हारा राज।
राजन चाल्या पगा पगा, रथ पर रह गया दूत,
बिलखत छोड़ी कामणि, परिया की सी हूर,
उमराव थारी चलगत प्यारी लागै, म्हारा राज।
म्हारा साहेबा, ओ जी म्हारा राज।
मना थारी उमर जावे रे ,
मना थारी उमर जावे रे ।
आछा दिन थारा बीत गया ,
चोखा दिन थारा बीत गया।
दिन अबका आवे रे ,
मना थारी उमर जावे रे ॥
काहे सू मंढावू पांख - पांखड़ली ,
काहे सू मंढावू थारी चांचड़ली ।
रूपं सू मंढावू थारी पांख - पांखड़ली ,
सोनै सू मंढावू थारी चांचड़ली ।