निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव जगत सर्जक प्रलय करता शिवम सत्यम सुंदरा
निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव जगत सर्जक प्रलय करता शिवम सत्यम सुंदरा
निरंकार स्वरूप कालेश्वर महा योगीश्वरा दयानिधि दानिश्वर जय जटाधार अभयंकरा
निरंकार स्वरूप कालेश्वर महा योगीश्वरा दयानिधि दानिश्वर जय जटाधार अभयंकरा
शूल पानी त्रिशूल धारी औगड़ी बाघम्बरी जय महेश त्रिलोचनाय विश्वनाथ विशम्भरा
शूल पानी त्रिशूल धारी औगड़ी बाघम्बरी जय महेश त्रिलोचनाय विश्वनाथ विशम्भरा
नाथ नागेश्वर हरो हर पाप साप अभिशाप तम महादेव महान भोले सदा शिव शिव शंकरा
नाथ नागेश्वर हरो हर पाप साप अभिशाप तम महादेव महान भोले सदा शिव शिव शंकरा जगत पति अनुरकती भक्ति सदैव तेरे चरण हो क्षमा हो अपराध सब जय जयति जगदीश्वरा
जगत पति अनुरकती भक्ति सदैव तेरे चरण हो क्षमा हो अपराध सब जय जयति जगदीश्वरा जनम जीवन जगत का संताप ताप मिटे सभी ओम नमः शिवाय मन जपता रहे पञ्चाक्षरा जनम जीवन जगत का
संताप ताप मिटे सभी ओम नमः शिवाय मन जपता रहे पञ्चाक्षरा
आशुतोष शशांक शेखर द्वारा गाई गई शिव की स्तुति एक बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण स्तुति है। इस स्तुति में, भगवान शिव की कई रूपों और गुणों की प्रशंसा की गई है। भगवान शिव को भोलेनाथ, महादेव, त्रिपुरारी, नीलकंठ, रुद्र, आदित्य, शंकर, गिरिजापति, पतित पावन, आदि कई नामों से जाना जाता है। इन सभी नामों का अलग-अलग अर्थ है और यह भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है।
भगवान शिव को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे बहुत दयालु और सरल हैं। वे अपने भक्तों की जल्दी से सुनते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भगवान शिव को महादेव इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सृष्टि के रक्षक हैं। वे भक्तों को कष्टों से बचाते हैं और उन्हें सुख-शांति प्रदान करते हैं। भगवान शिव को त्रिपुरारी इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। भगवान शिव को नीलकंठ इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने विष पीकर सृष्टि को बचाया था। भगवान शिव को रुद्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सृष्टि के संहारक हैं। भगवान शिव को आदित्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे सूर्य के देवता हैं। भगवान शिव को शंकर इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे शांति और कल्याण के देवता हैं। भगवान शिव को गिरिजापति इसलिए कहा जाता है क्योंकि उनकी पत्नी पार्वती को गिरिजा कहा जाता है। भगवान शिव को पतित पावन इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे पापियों को भी शुद्धि प्रदान करते हैं।
आशुतोष शशांक शेखर की स्तुति में, भगवान शिव की इन सभी रूपों और गुणों की प्रशंसा की गई है। इस स्तुति को सुनकर भक्तों को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और वे जीवन में सुख-शांति प्राप्त करते हैं।
भगवान शिव को हिंदू धर्म के तीन प्रमुख देवताओं में से एक माना जाता है। वे सृष्टि के संहारक हैं और सभी देवताओं में सबसे शक्तिशाली हैं। भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है क्योंकि वे बहुत दयालु और सरल हैं। वे अपने भक्तों की जल्दी से सुनते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
शिव की पूजा का हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के उपाय किए जाते हैं, जिनमें शिवलिंग की पूजा, शिव मंत्रों का जाप, शिव स्तोत्र का पाठ, शिव रात्रि व्रत, सोमवार व्रत, आदि शामिल हैं। शिव की पूजा करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं। भगवान शिव की कृपा से भक्तों को जीवन में सुख-शांति, धन-धान्य, आरोग्य, आदि प्राप्त होते हैं। भगवान शिव भक्तों को बुरी शक्तियों से भी बचाते हैं। शिव की पूजा करने के कुछ विशेष लाभ निम्नलिखित हैं:
भगवान शिव की कृपा से भक्तों को जीवन में सुख-शांति मिलती है।
भगवान शिव भक्तों को धन-धान्य और आरोग्य प्रदान करते हैं।
भगवान शिव भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाते हैं।
भगवान शिव भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं।
अतः, सभी भक्तों को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव की पूजा से भक्तों का जीवन सुखी और मंगलमय बनता है।
Naath Naageshvar Haro Har Paap Saap Abhishaap Tam Mahaadev Mahaan Bhole Sada Shiv Shiv Shankara
Naath Naageshvar Haro Har Paap Saap Abhishaap Tam Mahaadev Mahaan Bhole Sada Shiv Shiv Shankara Jagat Pati Anurakati Bhakti Sadaiv Tere Charan Ho Kshama Ho Aparaadh Sab Jay Jayati Jagadishvara
Jagat Pati Anurakati Bhakti Sadaiv Tere Charan Ho Kshama Ho Aparaadh Sab Jay Jayati Jagadishvara Janam Jivan Jagat Ka Santaap Taap Mite Sabhi Om Namah Shivaay Man Japata Rahe Panchaakshara Janam Jivan Jagat Ka Santaap Taap Mite Sabhi Om Namah Shivaay Man Japata Rahe Panchaakshara
निर्विकार ओमकार अविनाशी Nirvikar Omkar Avinashi तुम्ही देवाधि देव
Tumhi Devadhi Dev जगत सर्जक प्रलय करता Jagat Sarjak Pralay Karta शिवम सत्यम सुंदरा Shivam Satyam Sundara
निर्विकार ओमकार अविनाशी Nirvikar Omkar Avinashi तुम्ही देवाधि देव Tumhi Devadhi Dev जगत सर्जक प्रलय करता Jagat Sarjak Pralay Karta शिवम सत्यम सुंदरा Shivam Satyam Sundara
निरंकार स्वरूप कालेश्वर Nirankar Swarup Kaleshwar महा योगीश्वरा Maha Yogishwara दयानिधि दानिश्वर जय Dayanidhi Danishwara Jai जटाधार अभयंकरा Jatadhar Abhayankara
निरंकार स्वरूप कालेश्वर Nirankar Swarup Kaleshwar महा योगीश्वरा Maha Yogishwara दयानिधि दानिश्वर जय Dayanidhi Danishwara Jai जटाधार अभयंकरा Jatadhar Abhayankara
शूल पानी त्रिशूल धारी Shool Pani Trishul Dhari औगड़ी बाघम्बरी Aughadi Baghambari जय महेश त्रिलोचनाय Jai Mahesh Trilochanay विश्वनाथ विशम्भरा Vishawanath Vishambhara
शूल पानी त्रिशूल धारी Shool Pani Trishul Dhari औगड़ी बाघम्बरी Aughadi Baghambari जय महेश त्रिलोचनाय Jai Mahesh Trilochanay विश्वनाथ विशम्भरा Vishawanath Vishambhara
नाथ नागेश्वर हरो हर Nath Nageshwar Haro Har पाप साप अभिशाप तम Paap Saap Abhishaap Tam महादेव महान भोले Mahadev Mahan Bhole सदा शिव शिव शंकरा Sadaa Shiv Shiv Shankara
नाथ नागेश्वर हरो हर Nath Nageshwar Haro Har पाप साप अभिशाप तम Paap Saap Abhishaap Tam महादेव महान भोले Mahadev Mahan Bhole सदा शिव शिव शंकरा Sadaa Shiv Shiv Shankara
जगत पति अनुरकती भक्ति Jagat Pati Anurakti Bhakti सदैव तेरे चरण हो Sadaiva Tere Charan Ho क्षमा हो अपराध सब Kshama Ho Apradh Sab जय जयति जगदीश्वरा Jai Jayati Jagdishwara
जगत पति अनुरकती भक्ति Jagat Pati Anurakti Bhakti सदैव तेरे चरण हो Sadaiva Tere Charan Ho क्षमा हो अपराध सब Kshama Ho Apradh Sab जय जयति जगदीश्वरा Jai Jayati Jagdishwara
जनम जीवन जगत का Janam Jeevan Jagat Ka संताप ताप मिटे सभी Santap Taap Mite Sabhi ओम नमः शिवाय मन Om Namah Shivaya Mann जपता रहे पञ्चाक्षरा Japta Rahe Panchakshra
जनम जीवन जगत का Janam Jeevan Jagat Ka संताप ताप मिटे सभी
Santap Taap Mite Sabhi ओम नमः शिवाय मन Om Namah Shivaya Mann जपता रहे पञ्चाक्षरा Japta Rahe Panchakshra