उठे अघोर जब क्रोध लिए भजन
उठे अघोर जब क्रोध लिए भजन
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
साधु हंसें जब काल नाचे,
शिव के डमरू की गूंज बढ़े,
जो मृत्यु से भयभीत हुआ,
वह जन्म जन्म का बंधन गहे।
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
अग्नि जले शमशान सजे,
महाकाल जब तांडव करे,
पर जो शिव की छाया में आए,
वह जन्म मरण के पार चले।
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
जो मृत्यु में भी शिव देखे,
वह सत्य के द्वारों तक जाए,
जो भ्रम में डोले भय में रोए,
वह चौरासी में फिर से आए।
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
काल भी उनका दास बने,
जो स्वयं को शिव में मिटा दे,
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
साधु हंसें जब काल नाचे,
शिव के डमरू की गूंज बढ़े,
जो मृत्यु से भयभीत हुआ,
वह जन्म जन्म का बंधन गहे।
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
अग्नि जले शमशान सजे,
महाकाल जब तांडव करे,
पर जो शिव की छाया में आए,
वह जन्म मरण के पार चले।
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
जो मृत्यु में भी शिव देखे,
वह सत्य के द्वारों तक जाए,
जो भ्रम में डोले भय में रोए,
वह चौरासी में फिर से आए।
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
काल भी उनका दास बने,
जो स्वयं को शिव में मिटा दे,
उठे अघोर जब क्रोध लिए,
मृत्यु चारों ओर छायेगी,
आयेंगे साधु मरघट सजाए,
मृत्यु ढोल बजायेगी।
जब अघोर क्रोधित होते हैं तब चारों ओर मृत्यु का तांडव होता है। श्मशान में साधु एक नई दुनिया सजाते हैं जहां मृत्यु का ढोल बजता है। लेकिन जो शिव की छाया में आता है वो जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। महाकाल के तांडव में भी जो भयमुक्त रहता है वही सच्चे सत्य तक पहुंचता है। जो मृत्यु में भी शिव को देखता है वो मोक्ष की ओर बढ़ता है। लेकिन जो भय और भ्रम में उलझा रहता है, वो फिर से जन्म मरण के चक्र में आ जाता है। काल भी उसका दास बन जाता है जो स्वयं को पूरी तरह शिव में समर्पित कर देता है। जय शिव शंकर।
Mahakal Aghor Bhajan | जब उठे अघोर क्रोध लिए | शिव तांडव भजन | Mahadev Bhajan 2025 | Bhajan Marg
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Author - Saroj Jangir
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