घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे

घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे

घुघंट के पट खोल रै,
तोहे पिया मिलेंगे,
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।

घट घट में तेरे साई बसत हैं,
कटुक वचन मत बोल रै,
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।

धन जोबन का गरभ खींचे,
झूठा इनका मोल रै,
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।

जाग यतन से रंग महल में,
पिया पायो अनमोल रै,
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।

सूनें मंदिर दिया जला के,
आसान से मत डौल रै,
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।

कहत कबीर सुनो भाई साधों,
अनहद बाजत ढोल रै,
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।

घुघंट के पट खोल रै,
तोहे पिया मिलेंगे,
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे।
 
भजन श्रेणी : कबीर भजन (Read More : Kabir Bhajan)

घूँघट के पट खोल [ कबीर जी का सुप्रसिद भजन ] Ghunghat ke Pat Khol - Mayank Upadhyay- Ambey bhakti

Ghughant Ke Pat Khol Rai,
Tohe Piya Milenge,
Ghunghat Ke Pat Khol Re,
Tohe Piya Milenge.

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