ना मैं माँगू खेल खिलौना ना मैं लाल फरारी

ना मैं माँगू खेल खिलौना ना मैं लाल फरारी

ना मैं माँगू खेल खिलौना,
ना मैं लाल फरारी,
एक बार करवा दे बाबा,
लीले की सवारी,
तेरे संग झूम लू मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं,
तेरे संग झूम लूँ मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं।

मैं भी देखूं लीला घोड़ा,
कैसी दौड़ लगाता,
जब कोई प्रेमी याद है करता,
झटपट दौड़ के आता,
रोते हुए चेहरों पे लाता,
ये मुस्कान है प्यारी,
एक बार करवा दे बाबा,
लीलै की सवारी,
तेरे संग झूम लू मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं,
तेरे संग झूम लूँ मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं।

माँ कहती है एक दिन तू तो,
मेरे घर आएगा,
रूठ गई जो खुशियां हमसे,
वापस लौटाएगा,
उस दिन से मैं देख रहा हूँ,
बाबा राह तुम्हारी,
एक बार करवा दे बाबा,
लीलै की सवारी,
तेरे संग झूम लू मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं,
तेरे संग झूम लूँ मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं।
माँ के हाथ का खीर चूरमा,
जिस दिन तू खाएगा,
सच कहता है ‘रोमी’ बाबा,
भूल नहीं पाएगा,
आना जाना लगा रहेगा,
होगी पक्की यारी,
एक बार करवा दे बाबा,
लीलै की सवारी,
तेरे संग झूम लू मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं,
तेरे संग झूम लूँ मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं।

ना मैं माँगू खेल खिलौना,
ना मैं लाल फरारी,
एक बार करवा दे बाबा,
लीले की सवारी,
तेरे संग झूम लू मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं,
तेरे संग झूम लूँ मैं,
ये दुनियां घूम लूँ मैं।

ना मै मांगू खेल खिलौना ना मै लाल फरारी।।हरमहिंदर सिंह रोमी जी

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