जयकारा शेरावाली दा, बोल सच्चे दरबार दी जय, हे माँ, हे माँ, हे माँ......., मैं भूल ना पाउँगा, तेरे दर की यादें, मैं सब को सुनाऊँगा, तेरे दर की यादें, मैं भूल ना पाऊंगा तेरे दर की यादें।
कैसे कैसे तुम महारानी, अपने दर पे बुलाती हो, ऊँचे पहाड़ों के नजारें, हम सब को दिखलाती हो, घर घर में सुनाऊँगा, तेरे दर की यादें, मैं सब को सुनाऊंगा, तेरे दर की यादें, मैं भूल ना पाऊंगा तेरे दर की यादें।
गुफ़ा में बैठी तुम महारानी, सबकी झोली भरती हो, सब बच्चों के सर पर मैया, हाथ मेहर का धरती हो, सब को बतलाऊँगा, तेरे दर की यादें , मैं सब को सुनाऊंगा, तेरे दर की यादें, मैं भूल ना पाऊंगा तेरे दर की यादें।
अपने घर में पहुँच के मैया, कंज़कें तेरी बिठाता हूँ, हलवे चने का भोग लगाकर, दर्शन तेरा पाता हूँ, सबको बतलाऊँगा, तेरे दर की यादें, मैं सब को सुनाऊंगा, तेरे दर की यादें, मैं भूल ना पाऊंगा तेरे दर की यादें।