काँम काँम सबको कहैं काँम न चीन्हें कोइ मीनिंग Kaam Kaam Sabko Kahe Meaning Kabir Ke Dohe

काँम काँम सबको कहैं काँम न चीन्हें कोइ मीनिंग Kaam Kaam Sabko Kahe Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

काँम काँम सबको कहैं, काँम न चीन्हें कोइ।
जेती मन में कामना, काम कहीजै सोइ॥
Kaam Kaam Sabko Kahe, Kaam Na Chinhe Koi,
Jeti Man Me Kamana Kaaj Kahije Soi.

काँम काँम सबको कहैं : काम वासना के विषय में हर कोई कहता है.
काँम न चीन्हें कोइ : काम को कोई चिन्हित नहीं कर पाता है.
जेती मन में कामना : जिस मन में कामना है.
काम कहीजै सोइ : वही काम है.

कबीर साहेब की वाणी है की हर व्यक्ति काम काम कहता अवश्य है लेकिन काम को चिन्हित नहीं कर पाता है. वह काम को समझ नहीं पाता है. यदि काम को पहचानना है तो जो मन में कामना है उसे समझ लिया जाए, वही काम होता है. भाव है की विषय विकार की यदि मन में कोई भी कामना है तो यही वासना का रूप है.
अपने मन को विषय विकारों से निर्लिप्त करना ही काम वासना से दूर रहने का मार्ग है.
 
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