काँम काँम सबको कहैं काँम न चीन्हें कोइ मीनिंग कबीर के दोहे

काँम काँम सबको कहैं काँम न चीन्हें कोइ मीनिंग (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

काँम काँम सबको कहैं, काँम न चीन्हें कोइ।
जेती मन में कामना, काम कहीजै सोइ॥
Kaam Kaam Sabko Kahe, Kaam Na Chinhe Koi,
Jeti Man Me Kamana Kaaj Kahije Soi.

काँम काँम सबको कहैं : काम वासना के विषय में हर कोई कहता है.
काँम न चीन्हें कोइ : काम को कोई चिन्हित नहीं कर पाता है.
जेती मन में कामना : जिस मन में कामना है.
काम कहीजै सोइ : वही काम है.

कबीर साहेब की वाणी है की हर व्यक्ति काम काम कहता अवश्य है लेकिन काम को चिन्हित नहीं कर पाता है. वह काम को समझ नहीं पाता है. यदि काम को पहचानना है तो जो मन में कामना है उसे समझ लिया जाए, वही काम होता है. भाव है की विषय विकार की यदि मन में कोई भी कामना है तो यही वासना का रूप है.
अपने मन को विषय विकारों से निर्लिप्त करना ही काम वासना से दूर रहने का मार्ग है.
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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