कामी कदे न हरि भजै मीनिंग Kaami Kade Na Hari Bhaje Meaning Kabir Ke Dohe

कामी कदे न हरि भजै मीनिंग Kaami Kade Na Hari Bhaje Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

कामी कदे न हरि भजै, जपै न कैसो जाप।
राम कह्याँ थैं जलि मरे, को पूरिबला पाप॥
Kaami Kade Na Hari Bhaje, Jape Na Kaiso Jaap,
Ram Kahya The Jali Mare, Ko Puribla Paap

कामी कदे न हरि भजै : काम, वासना में पड़ा हुआ व्यक्ति कभी भी राम के नाम का सुमिरन नहीं करता है.
जपै न कैसो जाप : उससे केशव का नाम जपा नहीं जाता है.
राम कह्याँ थैं जलि मरे : राम नाम का जाप करने मात्र से ही वह जल भुन जाता है.
को पूरिबला पाप : पूर्व जन्मों का पाप होने के कारण.
कामी : विषय वासनाओं में पड़ा हुआ व्यक्ति.
कदे न : कभी भी नहीं.
हरि भजै : हरी के नाम का सुमरिन करता है.
जपै न : जाप नहीं करता है, सुमिरन नहीं करता है.
कैसो : केशव के नाम का.
जाप : जाप नहीं करता है, सुमिरन नहीं करता है.
राम कह्याँ : राम कहने से.
थैं : से.
जलि मरे : जल कर (अग्नि में जलना) मरना.
को : कोई (कोई हैं)
पूरिबला पाप : पूर्व जन्मों के पाप.

विषय वासनाओं में लिप्त व्यक्ति कभी भी हरी के नाम का सुमरिन नहीं करता है. वह कभी भी राम के नाम का जाप नहीं करता है. राम कहने से वह जल कर मर जाता है, ऐसा उसके पूर्व जन्मों के पाप का परिणाम हो सकता है. भाव है की व्यक्ति के कर्म के परिणाम से ही वह इश्वर के नाम का सुमिरण नहीं कर पाता है. काम वासना में फंसा हुआ व्यक्ति अपनी मनो स्थिति के कारण ही इश्वर के नाम का सुमिरन नहीं कर पाता है. यह पूर्व जन्मों का यही फल है की वह राम के नाम का सुमिरन नहीं कर पाता है.
 
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