विषै कर्म की कंचुली पहरि हुआ नर मीनिंग
विषै कर्म की कंचुली पहरि हुआ नर नाग मीनिंग
विषै कर्म की कंचुली, पहरि हुआ नर नाग।सिर फोड़ै, सूझै नहीं, को आगिला अभाग॥
Vishe Karm Ki Kanchuli, Pahari Hua Nar Naag,
Sir Fode Sujhe Nahi, Aagila Abhaag.
विषै कर्म की कंचुली : विषय वासनाओं के कर्म की केंचुली को पहन कर.
पहरि हुआ नर नाग : पहन कर व्यक्ति नाग हो गया है.
सिर फोड़ै, सूझै नहीं : दिखाई देने के अभाव में वह सर को फोड़ता है लेकिन फिर भी कुछ भी दिखाई नहीं देता.
को आगिला अभाग : वह अगले जन्म का अभागा है, पूर्व जन्मों का दोष है.
विषै : विषय विकार, वासना और मायाजनित सांसारिक लोभ.
कर्म की : कर्मों की.
कंचुली : केंचुली (सांप की केंचुली)
पहरि : पहन कर.
हुआ : हो गया है.
नर नाग : नर नाग बन गया है.
सिर फोड़ै : सर फोड़ने पर भी.
सूझै नहीं : दिखाई नहीं देता है.
को : होगा.
आगिला : पूर्व जन्म का.
अभाग : दुर्भाग्य.
पहरि हुआ नर नाग : पहन कर व्यक्ति नाग हो गया है.
सिर फोड़ै, सूझै नहीं : दिखाई देने के अभाव में वह सर को फोड़ता है लेकिन फिर भी कुछ भी दिखाई नहीं देता.
को आगिला अभाग : वह अगले जन्म का अभागा है, पूर्व जन्मों का दोष है.
विषै : विषय विकार, वासना और मायाजनित सांसारिक लोभ.
कर्म की : कर्मों की.
कंचुली : केंचुली (सांप की केंचुली)
पहरि : पहन कर.
हुआ : हो गया है.
नर नाग : नर नाग बन गया है.
सिर फोड़ै : सर फोड़ने पर भी.
सूझै नहीं : दिखाई नहीं देता है.
को : होगा.
आगिला : पूर्व जन्म का.
अभाग : दुर्भाग्य.
कबीर साहेब की वाणी है की सांसारिक विषय विकारों की उलझी हुई आत्मा के कर्म ही ऐसे हो जाते हैं जो केंचुली के समान होते हैं. इस विषय विकारों की केंचुली को पहन कर नर अँधा हो जाता है और वह इधर उधर सर पटकता रहता है लेकिन कुछ भी दिखाई नहीं देता है. जैसे सांप केंचुली के समय अँधा हो जाता है क्योंकि केंचुली उसके आँखों को ढक लेती है.
ऐसे ही मायाजनित कार्यों में, व्यवहार में उलझा हुआ व्यक्ति अँधा हो जाता उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता है. भक्ति मार्ग और इश्वर की भक्ति उसे दिखाई ही नहीं देती है. यहाँ पर भाव है की जीवात्मा की आखों पर अज्ञान का आवरण है जिसे हटाना होगा. संभव है की यह कोई पूर्व जन्मों के भाग्य का ही परिणाम होगा.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |