कबीर जिनि जिनि जाँणियाँ मीनिंग
कबीर जिनि जिनि जाँणियाँ, करत केवल सार।
सो प्राणी काहै चलै, झूठे जग की लार॥
Kabir Jini Jini Jaaniya, Karat Keval Saar,
So Prani Kahe Chale, Jhuthe Jag Ki Laar.
कबीर जिनि जिनि जाँणियाँ : कबीर साहेब के अनुसार जिन्होंने जाना है, जो ज्ञानी हैं.करत केवल सार : वे केवल सार तत्व की बातें ग्रहण करते हैं.सो प्राणी काहै चलै : वो प्राणी क्यों चलेगा.झूठे जग की लार : इस झूठे जगत के पिछे.जिनि जिनि : जिस जिस ने,जाँणियाँ : जाना है, पहचाना है.करत : करते हैं. केवल सार : केवल सार तत्व को ग्रहण करते हैं.सो प्राणी : वह प्राणी.काहै : क्यों.चलै : चलता है.झूठे जग : मिथ्या जगत.की लार : के पिछे. कबीर साहेब ने तत्व की बात कहते हुए वाणी दी है की जिस जिस ने इश्वर को समझा है, जाना है वह केवल सार को ग्रहण करता है. ऐसा प्राणी क्यों जगत के पीछे चले ? भाव है की तत्व ग्यानी वास्तविक ज्ञान को जानता है. वह व्यर्थ के सांसारिक रीती रिवाजों का ध्यान नहीं देता है क्योंकि वह मिथ्या है. धार्मिक कर्मकांड, आडम्बर और अन्य क्रियाएं धार्मिक होने का ढोंग है लेकिन यह सत्य नहीं है. जिसने सार तत्व को ग्रहण किया है वह क्यों व्यर्थ की वस्तुएं को ग्रहण करेगा.
सच्चे हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन ही मुक्ति का आधार है. जिसने पवित्र हृदय से इश्वर के नाम का सुमिरन किया है वह अवश्य ही भक्ति को प्राप्त करता है. जगत की मिथ्या के पीछे वह नहीं दौड़ता है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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