झूठे को झूठा मिलै दूणाँ बधै सनेह मीनिंग Jhuthe Ko Jhutha Mile Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )
झूठे को झूठा मिलै, दूणाँ बधै सनेह।झूठे कूँ साचा मिलै, तब ही तूटै नेह॥
Jhuthe Ko Jhutha Mile, Duna Badhe Saneh,
Jhuthe Ku Sancha Mile, Tab Hi Tute Neh.
झूठे को झूठा मिलै : कबीर साहेब कहते हैं की यदि झूठे व्यक्ति को झूठा मिल जाए, समान गुण के व्यक्ति यदि मिल जाएं.
दूणाँ बधै सनेह : तो उनका स्नेह, प्रेम दुगना बढ़ता है.
झूठे कूँ साचा मिलै : यदि झूठे को सच्चा मिलता है.
तब ही तूटै नेह : आपसी स्नेह टूट जाता है.
दूणाँ बधै सनेह : तो उनका स्नेह, प्रेम दुगना बढ़ता है.
झूठे कूँ साचा मिलै : यदि झूठे को सच्चा मिलता है.
तब ही तूटै नेह : आपसी स्नेह टूट जाता है.
कबीर साहेब की वाणी है की जो व्यक्ति माया के प्रभाव में पड़ा हुआ है, माया के प्रभाव से प्रभावित आचरण करता है वह झूठा है और वह अपने जैसे झूठे को ही
पसंद करता है. अपने जैसे अन्य झूठे व्यक्ति को अपने पास पाकर वह प्रशन्न हो उठता है उसका स्नेह बढ़ता है. जब वह सत्य के आचरण करने वाले किसी व्यक्ति से
मिलता है तो झूठे लोगों से उसका स्नेह टूटने लग जाता है. जब तक ज्ञानी व्यक्ति से झूठा ब्यक्ति नहीं मिलता है तो उसे अपने चारों तरफ स्वंय के जैसे ही व्यक्ति मिलते हैं, ऐसे में वह ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर पाता है.
तत्वज्ञानी से मिलने के उपरान्त ही उसका ज्ञान बढता है. सांसारिक व्यक्ति का संसार से, माया से मोह भंग तभी होता है जब वह किसी तत्वज्ञानी से मिलता है.
पसंद करता है. अपने जैसे अन्य झूठे व्यक्ति को अपने पास पाकर वह प्रशन्न हो उठता है उसका स्नेह बढ़ता है. जब वह सत्य के आचरण करने वाले किसी व्यक्ति से
मिलता है तो झूठे लोगों से उसका स्नेह टूटने लग जाता है. जब तक ज्ञानी व्यक्ति से झूठा ब्यक्ति नहीं मिलता है तो उसे अपने चारों तरफ स्वंय के जैसे ही व्यक्ति मिलते हैं, ऐसे में वह ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर पाता है.
तत्वज्ञानी से मिलने के उपरान्त ही उसका ज्ञान बढता है. सांसारिक व्यक्ति का संसार से, माया से मोह भंग तभी होता है जब वह किसी तत्वज्ञानी से मिलता है.