मूँड़ मुँड़ावत दिन गए अजहूँ न मिलिया राम मीनिंग Mood Mudawat Din Gaye Meaning Kabir Dohe

मूँड़ मुँड़ावत दिन गए अजहूँ न मिलिया राम मीनिंग Mood Mudawat Din Gaye Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

मूँड़ मुँड़ावत दिन गए, अजहूँ न मिलिया राम
राँम नाम कहु क्या करैं, जे मन के औरे काँम॥
Mund Mundavat Din Gaye, Ajahu Na Miliya Ram,
Ram Naam Kahu Kya Kare, Je Man Ke Auro Kaam.

मूँड़ मुँड़ावत दिन गए : बालों को कटवाते तो कई दिन बीत गए.
अजहूँ न मिलिया राम : अभी भी राम से मिलन नहीं हुआ है.
राँम नाम कहु क्या करैं : राम नाम क्या करे.
जे मन के औरे काँम : जो / यदि मन कहीं और ही लगा हुआ है.
मूँड़ मुँड़ावत : बाल कटवाने का क्या लाभ.
दिन गए : बहुत दिन बीत गए हैं.
अजहूँ : अभी भी.
न मिलिया : नहीं मिला है.
राम : इश्वर.
राँम नाम : इश्वर.
कहु : कहो.
क्या करैं : क्या करे.
जे मन : यदि मन.
के औरे काँम : मन कहीं और ही है, स्थिर नहीं है.

कबीर साहेब साधक को सन्देश देते हैं की बालों का मुंडन करते हुए तुमको जाने कितना ही समय बीत चूका है, तुम लम्बे समय से बालों को कटवा रहे हो लेकिन तुमको अभी तक इश्वर की प्राप्ति नहीं हुई है. राम नाम के सुमिरन का भी क्या फायदा यदि तुम्हारा चित्त/हृदय स्थिर नहीं है और अन्यत्र ही विचरण करता है. 
 
भाव है की जब तक साधक सहज रूप से इश्वर भक्ति के लिए समर्पित नहीं होता है, अपने मन को स्थिर करके माया से विमुख नहीं होता है तब तक वह भक्ति मार्ग पर बढ़ नहीं सकता है. भले ही वह बालों को कटवाए, बढाए या कोई अन्य कर्मकांड और पाखण्ड करे. भक्ति बाह्य नहीं अपितु आंतरिक है.
 
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