सहज सहज सबको कहै हिंदी मीनिंग Sahaj Sahaj Sabko Kahe Meaning Kabir Dohe

सहज सहज सबको कहै हिंदी मीनिंग Sahaj Sahaj Sabko Kahe Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe (Saakhi) Hindi Arth/Hindi Meaning Sahit (कबीर दास जी के दोहे सरल हिंदी मीनिंग/अर्थ में )

सहज सहज सबको कहै, सहज न चीन्हें कोइ।
पाँचू राखै परसती, सहज कही जै सोइ॥
Sahaj Sahaj Sabko Kahe, Sahaj Na Chinhe Koi,
Panchu Rakhe Parsati, Sahaj Kahi Je Soi.

सहज सहज सबकौ कहै : सहज सहज सभी कोई कहते हैं, सभी लोग कहते हैं.
सहज न चीन्है कोइ : सहज को कोई चिन्हित नहीं करता है, कोई पहचान नहीं कर पाता है.
पाँचू राखै परसती : पाँचों को अपने वश में रखे.
सहज कही जै सोइ : वही सहज कहला सकता है.
सबकौ : हर कोई, प्रत्येक.
कहै : कहता है.
चीन्है : पहचान करना, चिन्हित करना.
कोइ : कोई भी.
जिन्ह : जिसने.
सहजै : सहज ही.
पाँचू : पाँचों इन्द्रियों को,
राखै : रखता है.
परसती : अपने नियंत्रण में.
सहज कही जै सोइ : वही सहज कहलाता है.

कबीर साहेब की वाणी है की हर कोई सहज सहज कहता है, लेकिन कोई भी सहज नहीं है. सहज को किसी ने चिन्हित नहीं किया है. सहज वही है जिसने अपनी पाँचों इन्द्रियों को अपने वश में कर लिया है. इस साखी में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार की व्यंजना हुई है.
 
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