गणपत सुरसत शारदा ने सिमरूं, दीज्यो अनुभव वाणी, परखत परखत पीर परखिया, परखी पीरो री निशाणी, रे संता गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी।
सबसे पहले मैं गणपति जी का ध्यान करता हूँ और इसके उपरान्त शारदा माता का ध्यान करता हूँ, सिमरन करता हूँ, मुझे आपके अनुभव जानी वाणी दो .परखते परखते मैंने पीर (गुरु) कई परखें हैं और मैंने सच्चे गुरु की निशानी को परखा है, अब मुझे ब्रह्म का ज्ञान रखने वाले गुरु मिल गए हैं .
ज्ञान सुना कियो हरी भेळो, ज्ञान सुना कियो हरी भेळो, बातां अगम री जानी, रे संता गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी।
सतगुरु देव ने ही ज्ञान देकर हरी की संगती में लिया है, मैंने अगम्य (ब्रह्मरंध्र ) की बातों को जाना है .
दिल में दर्शया प्रेम परस्या, सतगुरु री सैलानी, अगम निगम रो भेद बतायो, आदि जुगत ओळखाणी। रे संता गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी।
अल्लाह खुदा अलख निरंजन, निराकार निर्वाणी, हरदम हेर घेर घर लाया, पाई सत री निशानी, रे संता गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी। ज्ञान सुना कियो हरी भेळो, ज्ञान सुना कियो हरी भेळो, बातां अगम री जानी, रे संता गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी।
गुरु अवधूता पूरा मिलिया, गुरु अवधूता पूरा मिलिया, गुरु मिलिया गम जाणी, हेमनाथ सतगुरु जी रे शरणे, सहजे सूरत समाणी, रे संता गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी।
ज्ञान सुना कियो हरी भेळो, ज्ञान सुना कियो हरी भेळो, बातां अगम री जानी, रे संता गुरु मिलिया ब्रह्मज्ञानी।
सुरेश लोहार डीजे एल्बम देशी भजन गुरु मिल्या ब्रह्मज्ञानी
Ganapat Surasat Shaarada Ne Simarun, Dijyo Anubhav Vaani, Parakhat Parakhat Pir Paraakhiya, Parakhi Piro Ri Nishaani, Re Santa Guru Miliya Brahmagyaani.