पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी

पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी

 
पीले अमीरस धारा गगन में झड़ी लगी

अमृत केरी मोठरी, राखो सतगुरु छोर।
आप सरिका जो मिले, ताही पिलावे घोल,
अमृत पीवे ते जणा, सतगुरु लागा कान,
वस्तु अगोचर मिल गई, मन नहीं आवे आन।

पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी,
झड़ी लगी रे झड़ी लगी,
पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी।

झड़ी लगी, झड़ी लगी,
पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी।

बुंद का प्यासा घड़ा भर पाया,
सपनें में वो स्वाद ना आया,
कौन किसे कैसे समझाये,
एक बुंद की तरण लगी,
पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी।

प्यास बीना क्या पीये रे पाणी,
प्यास के लिये हे वो पाणी,
बिना अधिकार कोई नही जाणी,
अमृत रस की झड़ी लगी,
पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी।

अमृत पीये अमर पद पावे,
भव योनी में कभी न आवे,
जरा मरण को दुःख न सावे,
थारे घट गगरीया भरण लगी,
पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी।

अमृत बूँद गुरूजी की बाणी,
जीवन रस्ता है यह बाणी,
कबीर संगत में हो हमारी,
डाली प्रेम की वा हरी लगी।
पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी।

पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी,
झड़ी लगी रे झड़ी लगी,
पीले अमीरस धारा,
गगन में झड़ी लगी।

भजन श्रेणी : राजस्थानी भजन (Read More : Rajasthani Bhajan)

Shyam Bansi Bajate Milenge | Full Album | Rahul Saanwra | Shree Shyam Superhit Bhajan | Shyam Bhakti

Amrt Keri Mothari, Raakho Sataguru Chhor.
Aap Sarika Jo Mile, Taahi Pilaave Ghol,
Amrt Pive Te Jana, Sataguru Laaga Kaan,
Vastu Agochar Mil Gai, Man Nahin Aave Aan. 

यह भजन कबीर दास की वाणी से निकला अमृतरस है, जो गुरु और सतगुरु के अमृत समान प्रेम और ज्ञान को दर्शाता है। "पीले अमीरस धारा, गगन में झड़ी लगी" यह पंक्ति बताती है कि दिव्य अमृत की वर्षा हो रही है, जो भक्तों के प्यासे मन को बुझाने वाला है। भजन में कहा गया है कि जीवन में तृप्ति और आनन्द केवल सतगुरु की साधना और उनके अमर वचनों के माध्यम से ही संभव है।

एक बुंद की प्यास ऐसी होती है जो बिना सच्चे अनुभव के नहीं बुझाई जा सकती, उसी प्रकार आत्मिक प्यास भी सतगुरु के ज्ञान और प्रेम से ही पूरी होती है। यह अमृतरस पान करने से जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टियों से शांति, मोक्ष और सुखद अन्त मिलेगा। कबीर इसमे स्पष्ट करते हैं कि जो सतगुरु के नाम का रस पीता है, वह संसार के दुखों से मुक्त होकर नश्वर जीवन के बाद पुनर्जन्म के चक्र से भी मुक्त हो जाता है।]

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