जो गुरु का हो वचन वही राह चलेंगे

जो गुरु का हो वचन वही राह चलेंगे


जो गुरु का हो वचन, वही राह चलेंगे।
जो पथ में अगर शूल चुभे, शूल सहेंगे।

करते ना कृपा आप तो, होते ना हम कहीं के।
फिर हरता कौन मेरे, दुख-दर्द जिंदगी के।
हम जिंदगी को अपने, तेरे नाम करेंगे।
जो गुरु का...

आयेंगे हँसाएंगे, मनाएंगे आप ही को।
साँसें हैं मेरी जब तक, चाहेंगे आप ही को।
हम आपके लिए ही, हरि नाम जपेंगे।
जो गुरु का...

हो सामने मरण में, गुरु प्रार्थना करेंगे।
हो आप साथ में तो, भव सिन्धु से तरेंगे।
गुरुदेव के ही संग में, श्रीकांत से मिलेंगे।


बहुत सुन्दर गुरु भजन | जो गुरु का हो वचन,वही राह चलेंगे/रचना : #shrikantdasjimaharaj / स्वर : अनन्या

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भजन रचना : प• पू• श्री श्रीकान्त दास जी महाराज ।
 स्वर : अनन्या ।
 
गुरु के वचनों को ही जीवन का मार्ग बनाया जाता है, और यदि उस रास्ते में काँटे चुभें, तो उन्हें भी सहन किया जाता है। गुरु की कृपा न होती, तो जीवन दिशाहीन रहता; उनके बिना जीवन के दुख-दर्द कौन हरता? इसलिए जीवन को गुरु के नाम पर समर्पित किया जाता है। जब तक साँसें हैं, गुरु को ही मनाया जाता है, उनकी ही चाह बनी रहती है, और उनके लिए हरि का नाम जपने का संकल्प लिया जाता है। मृत्यु के सामने भी गुरु की प्रार्थना की जाती है, और उनके साथ होने पर भवसागर से पार उतरा जाता है। गुरुदेव के संग में ही श्रीकृष्ण से मिलन होता है। यह भजन गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण, उनकी कृपा से जीवन की दिशा, और उनके मार्गदर्शन से ईश्वर तक पहुँचने की भावना को व्यक्त करता है।
 
जब हम सतगुरु की महिमा को अपने मन में स्वीकार करते हैं और उनके प्रति श्रद्धा व समर्पण का भाव रखते हैं, तो हमारे अंदर अज्ञान का अंधकार दूर होता है और ज्ञान का प्रकाश फैलने लगता है। सतगुरु के मार्गदर्शन में हम सत्य, न्याय और सदाचार के मार्ग पर चलते हैं, जिससे हमारे विचार और कर्म शुद्ध होते हैं। गुरु की कृपा से हमारे मन में सकारात्मकता, आशा और विश्वास का प्रकाश फैलता है, जो हमें जीवन की हर चुनौती का सामना करने की शक्ति देता है।

गुरु हमें आत्मा के वास्तविक स्वरूप से परिचित कराते हैं। उनकी शिक्षाएँ और कृपा से हमारे मन में मौजूद सभी भ्रम, संदेह और नकारात्मकता दूर हो जाती है और हमारे अंदर आत्मिक प्रकाश जागृत होता है। सतगुरु के प्रति समर्पण और भक्ति से हमें जीवन का वास्तविक उद्देश्य समझ में आता है और हमारा मन शांत तथा प्रसन्न रहता है। इस प्रकार, सतगुरु की महिमा का भाव विस्तार हमारे जीवन में अनंत प्रकाश, शांति और आनंद फैलाता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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