शिरडीवाले साईनाथ की सुन लो पावन वानी

शिरडीवाले साईनाथ की सुन लो पावन वानी

शिरडीवाले साईनाथ की, सुन लो पावन वाणी।
शिरडीवाले साईनाथ की, सुन लो पावन वाणी।।

सबका मालिक एक, साईं ने ये सबको समझाया,
प्यार से मिलकर रहना, हमको साईं ने सिखलाया।
ढाई अक्षर पढ़े प्रेम का, बन जाए वो ज्ञानी,
शिरडीवाले साईनाथ की, सुन लो पावन वाणी।।

सब धर्मों ने एक बात है, बार-बार दोहराई,
अलग-अलग राहें, पर मंज़िल एक सभी की भाई।
एक ही सागर में जो मिलता, सब नदियों का पानी,
शिरडीवाले साईनाथ की, सुन लो पावन वाणी।।

श्रद्धा और सबुरी, दोनों ईश्वर तक ले जाएं,
निर्मल हो मन जिसका, वही ईश्वर दर्शन पाए।
ईश्वर एक है, नाम अनेका, बात ये सबने मानी,
शिरडीवाले साईनाथ की, सुन लो पावन वाणी।।

एक गगन की छत के नीचे, धरती एक हमारी,
एक हवा में साँसें लेकर, जीते हम संसारी।
परम आत्मा एक है सबमें, जीवन धन का दानी,
शिरडीवाले साईनाथ की, सुन लो पावन वाणी।।


Shirdi wale Sainath Ki Pawan Wani With Lyrics | Anup Jalota | Sai Bhajan | Sai Baba Song

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Singer(s): Anup Jalota
Music Director: Purushottam Das Jalota
Lyrics: Bharat Acharya, Narayan Agarwal
 
उस साईंनाथ की पावन वाणी भक्त के हृदय को एक ऐसी गहन प्रेरणा देती है, जो उसे सत्य, प्रेम और एकता के मार्ग पर ले जाती है। यह वाणी केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संदेश है, जो यह सिखाती है कि सबका मालिक एक ही है। साईं का यह उपदेश कि प्रेम के ढाई अक्षर पढ़ने वाला ही सच्चा ज्ञानी बनता है, भक्त को यह समझाता है कि सच्चा ज्ञान प्रेम और एकता में निहित है। यह संदेश भक्त को सभी धर्मों की एकता और मंजिल की समानता का बोध कराता है, जैसे नदियाँ अलग-अलग राहों से चलकर एक ही सागर में मिलती हैं। यह विश्वास भक्त के मन को उस सत्य के समीप ले जाता है, जो सभी को एक सूत्र में बाँधता है।

साईं की शिक्षाएँ श्रद्धा और सबूरी को वह मंत्र बताती हैं, जो निर्मल मन के साथ ईश्वर के दर्शन कराता है। भक्त का हृदय इस सत्य को आत्मसात करता है कि ईश्वर एक ही है, चाहे उसके नाम अनेक हों। यह वाणी भक्त को यह सिखाती है कि एक ही गगन के नीचे, एक ही धरती पर, एक ही हवा में साँस लेते हुए, सभी प्राणी उस परमात्मा के जीवन-धन से जुड़े हैं। यह भक्ति का वह मार्ग है, जहाँ भक्त उस साईं की पावन वाणी को सुनकर, प्रेम, एकता और श्रद्धा के साथ अपने जीवन को सार्थक बनाता है। वह उस अनंत सत्ता के प्रति समर्पित हो जाता है, जो हर प्राणी में समान रूप से विद्यमान है और उसे प्रेम और करुणा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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