मैं तेरी हो के नची आँ साईं भजन
मैं तेरी हो के नची आँ साईं भजन
मेरे सैयाँ वे, मैं तेरी हो के नचियाँ,
तेरी हो के नचियाँ, मैं तेरी हो के नचियाँ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
(अंतरा 1)
अवगुणहारी को गुण नाही,
हर गल्लों वे मैं दुत्तियाँ चुक्की आ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
(अंतरा 2)
जे कर नज़र मेहर दी पावे,
चढ़ चुबारे मैं नचियाँ वे, नचियाँ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
(अंतरा 3)
कहे फकीर हुसैन साईं दा,
दर तेरे दी वे कुत्तियाँ आ, मैं कुत्तियाँ आ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
(अंतरा 4)
‘अमन’ तेरे दर नचदा गावे,
फकराँ दे वांग मौज लुट्टियाँ, मैं लुट्टियाँ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
तेरी हो के नचियाँ, मैं तेरी हो के नचियाँ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
(अंतरा 1)
अवगुणहारी को गुण नाही,
हर गल्लों वे मैं दुत्तियाँ चुक्की आ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
(अंतरा 2)
जे कर नज़र मेहर दी पावे,
चढ़ चुबारे मैं नचियाँ वे, नचियाँ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
(अंतरा 3)
कहे फकीर हुसैन साईं दा,
दर तेरे दी वे कुत्तियाँ आ, मैं कुत्तियाँ आ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
(अंतरा 4)
‘अमन’ तेरे दर नचदा गावे,
फकराँ दे वांग मौज लुट्टियाँ, मैं लुट्टियाँ।
मेरे सैयाँ वे... जय हो!
मैं तेरी हो के नचियाँ...
मैं तेरी होके नाचीं | Shirdi Sai Baba Bhajan 2022 | Amandeep Pathak | साई बाबा भजन | Divya Channel
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प्रभु के प्रेम में डूबा हुआ भक्त उनके चरणों में अपनी पूरी आत्मा समर्पित कर देता है, और उनकी भक्ति में नाचता-गाता है, मानो उसका हर पल उनकी कृपा का उत्सव हो। यह वह दीवानगी है, जो भक्त को अपनी कमियों और अवगुणों को भूलकर केवल प्रभु के प्रेम में लीन कर देती है। वह स्वयं को प्रभु का दास मानता है, और उनकी मेहर की एक नजर पाकर उसका हृदय आनंद से झूम उठता है। यह भक्ति का वह भाव है, जो भक्त को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर उसे प्रभु के दर पर सदा नतमस्तक रखता है, और उसका जीवन उनकी कृपा की मस्ती में रंग जाता है।
प्रभु का दर वह पवित्र स्थल है, जहाँ भक्त अपने आपको पूर्णतः समर्पित कर देता है, और उनकी कृपा की छाया में फकीरी के आनंद में डूब जाता है। वह प्रभु के नाम का गुणगान करता है और उनकी सेवा में अपनी हर सांस अर्पित करता है, यह अनुभव करते हुए कि प्रभु की मेहर ही उसका सबसे बड़ा खजाना है। यह वह पवित्र रिश्ता है, जो भक्त को प्रभु के साथ जोड़ता है, और उसे उनकी कृपा की उस अनंत धारा में बहने देता है, जहाँ हर गीत, हर नृत्य केवल उनकी महिमा का उत्सव बन जाता है। भक्त का हृदय उनकी कृपा से इतना भर जाता है कि वह सदा उनके दर पर नाचता और गाता रहता है, उनकी महिमा में खोया हुआ।
प्रभु का दर वह पवित्र स्थल है, जहाँ भक्त अपने आपको पूर्णतः समर्पित कर देता है, और उनकी कृपा की छाया में फकीरी के आनंद में डूब जाता है। वह प्रभु के नाम का गुणगान करता है और उनकी सेवा में अपनी हर सांस अर्पित करता है, यह अनुभव करते हुए कि प्रभु की मेहर ही उसका सबसे बड़ा खजाना है। यह वह पवित्र रिश्ता है, जो भक्त को प्रभु के साथ जोड़ता है, और उसे उनकी कृपा की उस अनंत धारा में बहने देता है, जहाँ हर गीत, हर नृत्य केवल उनकी महिमा का उत्सव बन जाता है। भक्त का हृदय उनकी कृपा से इतना भर जाता है कि वह सदा उनके दर पर नाचता और गाता रहता है, उनकी महिमा में खोया हुआ।
Track : Main Teri Hoke Nachi
Singer : Amandeep Pathak
Lyrics : Kirti Pahuja
Music : Karan Prince
Singer : Amandeep Pathak
Lyrics : Kirti Pahuja
Music : Karan Prince
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Author - Saroj Jangir
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