माटी का तन तेरा बन्दे मैं हूं तेरे श्वास में

माटी का तन तेरा बन्दे मैं हूं तेरे श्वास में

माटी का तन तेरा बंदे,
मैं हूँ तेरे श्वास में,
माटी का तन तेरा बंदे,
मैं हूँ तेरे श्वास में।
मैं धूप में, मैं छाँव में,
मैं हूँ भक्तों के आस में,
माटी का तन तेरा बंदे,
मैं हूँ तेरे श्वास में।।

जड़-चेतन के सब रूपों में,
रहता हूँ बारहों मास में,
सुख में ख़ुशियाँ, दुःख में ग़म,
साईं है तेरे पास में,
माटी का तन तेरा बंदे,
मैं हूँ तेरे श्वास में।।

सर जो टेके मेरे दर पे,
आ के शिरडी आवास में,
भक्तों की चिंता पल में मिटा कर,
पीड़ा का करता हूँ नाश मैं,
माटी का तन तेरा बंदे,
मैं हूँ तेरे श्वास में।।

ग्यारह वचनों में अमृत है,
प्राण ये फूँकें लाश में,
मुझको ध्याये, वो ही सुख पाये,
ले ले मोहे विश्वास में,
माटी का तन तेरा बंदे,
मैं हूँ तेरे श्वास में।।

माटी का तन तेरा बंदे,
मैं हूँ तेरे श्वास में,
मैं धूप में, मैं छाँव में,
मैं हूँ भक्तों के आस में,
माटी का तन तेरा बंदे,
मैं हूँ तेरे श्वास में।।


Mati Ka Tan Tera Bande | Sai Baba New Bhajan |Usha Mangeshkar|Guruvar SpecialBhajan|Baba Aarti Songs

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Song Name: Mati Ka Tan Tere Bande
Singer: Usha Mangeshkar 
Music Director: C. Laxmichand
Album: Sai Malik
Lyrics: Barath Acharya
Graphics: Prem Graphics PG.
 
भक्त का हृदय जब उस परम सत्ता की इस पावन वाणी को सुनता है, तब वह एक गहन आध्यात्मिक अनुभूति से भर उठता है, जो उसे यह एहसास दिलाती है कि वह साईं हर कण में, हर श्वास में, हर धूप-छाँव में और हर सुख-दुख में उसके साथ है। यह सत्ता केवल बाहरी रूप में नहीं, बल्कि जड़-चेतन के हर स्वरूप में, बारहों मास और हर पल में विद्यमान है। भक्त का मन इस सत्य में डूब जाता है कि उसका माटी का तन भले ही नश्वर हो, पर उसकी हर साँस में वह साईं बस्ता है, जो उसके जीवन का आधार और हर आशा का सहारा है। यह विश्वास भक्त को उस अनंत शक्ति के साथ एकाकार कर देता है, जो सदा उसके पास रहकर उसकी हर पुकार को सुनती है।

उस साईं का पवित्र धाम, शिरडी, वह स्थान है जहाँ सर झुकाने वाला हर भक्त अपनी चिंताओं और पीड़ाओं से मुक्ति पाता है। उसकी ग्यारह वचनों में अमृत-तुल्य ज्ञान समाया है, जो भक्त को सिखाता है कि सच्चा सुख और शांति केवल उसी के प्रति विश्वास और ध्यान से प्राप्त होती है। भक्त का हृदय इस याचना से भर उठता है कि वह उस साईं को अपने विश्वास में बसा ले, ताकि उसका जीवन उसकी कृपा और प्रेम के रंग में रंग जाए। यह भक्ति का वह मार्ग है, जहाँ भक्त अपने तन-मन को उस साईं के चरणों में समर्पित कर देता है, यह जानते हुए कि वह हर पल, हर श्वास में उसके साथ है, और उसकी कृपा ही उसके जीवन को सार्थक और आलोकित बनाती है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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